ललितपुर। Demand for Bundelkhand State : मध्यप्रदेश और यूपी के अलग होकर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग अब फिर से उठने लगी है। बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाया जाए इसको लेकर राजा बुंदेला के नेतृत्व में आज से पदयात्रा निकाली जाएगी। राजा बुंदेला बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं। ये पदयात्रा एमपी और यूपी के कुल 23 जिलों से होकर गुजरेगी। जिसमें उत्तरप्रदेश के बांदा, हमीरपुर, जालौन, समेत कई जिले और मध्यप्रदेश के सागर, दतिया, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, ग्वालियर समेत कई जिलों से ये पदयात्रा निकलेगी।
बता दें कि बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांगा काफी पुरानी है। इसको लेकर कई नेताओं ने अभियान और आंदोलन तक किए हैं। इतना ही नहीं बुंदेलखंड के नेताओं ने अलग राज्य को लेकर विधानसभा और लोकसभा तक में इसकी आवाज उठाई है। जब यूपी और एमपी में विधानसभा चुनाव होते तब बुंदेलखंड के नेताओं और सरकारों द्वारा वादे तो किए जाते लेकिन बाद में उन वादों का भी कोई असर देखने को नहीं मिलता। हालांकि अब एक बार फिर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग तेज हो गई है।
बता दें कि बुंदेलखंड राज्य की मांग अभी से नहीं बल्कि कई सालों से चली आ रही है। जहां तक बुंदेलखंड राज्य की मांग करें तो देश के आजाद होते ही इस मांग ने जोर पकड़ लिया था। 12 मार्च 1948 को क्षेत्र की देशी रियासतों का विलीनीकरण किया गया और भारत सरकार द्वारा लिखित सहमति पत्र में लिखा गया कि इस क्षेत्र के निवासियों का हित एक ऐसे राज्य की स्थापना से पूरा हो सकता है, जिसकी अपनी विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका हो।
इस सहमति से संयुक्त राज्य विंध्य प्रदेश का निर्माण हुआ है। इसकी दो ईकाईयां बुंदेलखंड प्रदेश एवं बघेलखंड प्रदेश बनाई गयी है। बुंदेलखंड प्रदेश की राजधानी नौगांव बनायी गयी थी, जिसके मुख्यमंत्री स्वर्गीय कामता प्रसाद सक्सेना थे। 1953 में गठित प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर वर्ष 1956 में बुंदेलखंड क्षेत्र को उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्य में विभाजित कर दिया गया।