नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के दौरान हुई हत्या के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा है कि जमानत अर्जी का विरोध करने के नाम पर अभियोजन ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की।
अदालत ने पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को यह निर्देश दिया कि वह अपने सभी जांच अधिकारियों (आईओ) को अदालत की निष्पक्ष तरीके से सहायता करने के उनके कर्तव्यों के प्रति सचेत करें।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दंगे और मुशरफ नाम के एक व्यक्ति की कथित हत्या के मामले में ऋषभ चौधरी नाम के आरोपी की जमानत अर्जी की सुनवाई कर रहे थे। मुशरफ का शव 27 फरवरी 2020 को गोकुलपुरी स्थित जौहरीपुर पुलिया के पास एक नाले में मिला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, शव पर बाहरी चोट के 12 निशान थे।
न्यायाधीश ने शुक्रवार को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘…प्रत्यक्षदर्शियों से जिरह की गई, लेकिन उन्होंने इस घटना की पुष्टि नहीं की और शेष दो गवाहों ने भीड़ में किसी व्यक्ति को देखने का दावा नहीं किया…मैंने पाया कि अर्जी देने वाला व्यक्ति जमानत का हकदार है।’’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, जमानत अर्जी मंजूर की जाती है और ऋषभ चौधरी को 30,000 रुपये के निजी मुचलका और इतनी ही रकम की जमानत राशि पर जमानत दी जाती है।’’
भाषा सुभाष माधव
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