नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दंगों के दौरान एक ऑटो चालक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार 11 लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और वास्तव में वे “पीड़ित व्यक्ति के लिए सहानुभूति रखते” थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने 18 मार्च को पारित आदेश में गवाहों के बयानों और घटना के वीडियो के आधार पर यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति प्रमाचला ने कहा, “गवाहों के बयान और घटना के वीडियो से पता चलता है कि ऑटो चालक बब्बू की पिटाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ की कोई भूमिका नहीं थी। अलबत्ता वे पीड़ित के लिए सहानुभूति रखते थे।”
हालांकि, उन्होंने दूसरे समुदाय के आठ लोगों के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति प्रमाचला ने कहा कि इन लोगों ने ऑटो चालक पर हमला किया और उसे घायल अवस्था में सड़क पर छोड़ दिया, जिसके बाद “प्रतिद्वंद्वी समुदाय के सदस्य, जिसमें छुट्टी पा चुके लोग भी शामिल थे, उस लड़के के पास आए” और संभवतः उसे मौके से ले गए।
उन्होंने कहा, “प्रतिद्वंद्वी भीड़ पर हमला, क्योंकि उसमें शामिल लोग अलग समुदाय से थे, निश्चित रूप से सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य था और बब्बू पर हमला इसी कृत्य का हिस्सा था।”
न्यायमूर्ति प्रमाचला ने कहा, “इसलिए, किसी भी तरह से यह कल्पना नहीं की जा सकती कि पीड़ित बब्बू पर हमला करना मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ का साझा इरादा था।”
बब्बू 25 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी चौक इलाके में पथराव के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी।
अदालत ने जिन लोगों को बब्बू की हत्या के आरोप से बरी कर दिया, उनमें रिजवान, इसरार, तैयब, इकबाल, जुबेर, मारूफ, शमीम, आदिल, सहाबुद्दीन, फरमान और इमरान शामिल हैं।
उसने मामले में राहुल, संदीप, हरजीत सिंह, कुलदीप, भारत भूषण, धर्मेंद्र, सचिन गुप्ता और सचिन रस्तोगी के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय करने का आदेश दिया।
भाषा पारुल देवेंद्र
देवेंद्र
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