नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल उत्तर -पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की बड़ी साजिश से जुड़े एक मामले में जमानत की मांग कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया के विद्यार्थी आसिफ इकबाल तन्हा की अर्जी पर सोमवार को अभियोजन पक्ष से जवाब मांगा। तन्हा को कठोर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ए जे भम्भानी की पीठ ने अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी किया और उसे तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 12 मार्च तय की।
तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें यह कहते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गयी थी कि उसने पूरी साजिश में सक्रिय भूमिका निभायी और यह मानने के लिए तार्किक आधार है कि उसके विरूद्ध लगे आरोप प्रथमदृष्टया सच हैं।
तन्हा को दंगे की ‘पूर्व नियोजित साजिश का’ कथित तौर पर हिस्सा होने के नाते पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया था।
तन्हा के वकीलों – सिद्धार्थ अग्रवाल और सोझन्या शंकरण ने कहा कि आरोपी को राहत दी जानी चाहिए क्योंकि वह मई, 2020 से हिरासत में हैं और आरोपपत्र दायर तक नहीं किया गया है।
पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच हिंसा के बाद दंगे हुए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की जान चली गयी थी और करीब 200 घायल हुए थे।
भाषा राजकुमार उमा
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