दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी की सजा बरकरार रखी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी की सजा बरकरार रखी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी की सजा बरकरार रखी
Modified Date: February 10, 2025 / 07:42 pm IST
Published Date: February 10, 2025 7:42 pm IST

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक व्यक्ति को सुनायी गयी 10 साल कैद की सजा को बरकरार रखा है। लड़की इस घटना के बाद गर्भवती हो गयी थी।

न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि दोषी व्यक्ति यह साबित करने में असमर्थ रहा कि पीड़िता को सिखाया-पढ़ाया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि जो सजा सुनायी गयी, वह अपराध के अनुपात में थी।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इस न्यायालय की नजर में सजा अपीलकर्ता द्वारा किये अपराध के अनुपात में ही है। यह अदालत संबंधित फैसले और सजा के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं पाती है। इसलिए, अपील को खारिज किया जाता है।’’

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न्यायमूर्ति महाजन ने कहा कि अपराध विज्ञान रिपोर्ट मजबूती से व्यक्ति की दोषसिद्धि का समर्थन करती है और झूठे मामले के उसके दावे को खारिज करती है।

उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को अपने फैसले में कहा कि निचली अदालत ने यह प्रश्न पूछकर सही किया कि 13 साल की लड़की उसे फंसाने के लिए ऐसी कहानी क्यों गढ़ेगी।

उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘पीड़िता ने कभी भी अपने इस स्पष्ट दावे से मुंह नहीं मोड़ा कि अपीलकर्ता ने कई मौकों पर उसका यौन उत्पीड़न किया। बचाव पक्ष द्वारा बताई गई छोटी-मोटी विसंगतियां उसकी गवाही की समग्र विश्वसनीयता को कम नहीं करती हैं।’’

पुलिस ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया कि 2017 में जब भी लड़की की दादी काम पर चली जाती थी, तब यह व्यक्ति उसका यौन उत्पीड़न करता था। इस व्यक्ति की पीड़िता से जान-पहचान थी।

लड़की ने पेटदर्द की शिकायत की और फिर अपनी दादी को सारी बातें बताईं। उसके बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गयी।

यह भी रिकार्ड में आया कि इस घटना के बाद लड़की गर्भवती हो गयी थी और बाद में उसका गर्भपात कराया गया।

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप


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