नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा डिजिटल रेप के मामले में आरोपी को जमानत दिए जाने को लेकर पीड़िता ने अपत्ति जताई है। इस मामले में निचली अदालत ने अरोपी युवक को 7 साल की सजा सुनाई थी। इस मामले को लेकर आरोप ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी, जिस पर कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए सजा पर रोक लगा दी है। वहीं, दूसरी ओर पीड़िता ने सैन फ्रांसिस्को ने वीडियो जारी कर हाईकोर्ट के इस फैसले पर अपत्ति जताते हुए कहा है कि से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली थी।
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दरअसल मामला साल 2003 का है। जब दिल्ली निवासी राजीव पंवार ने दक्षिण दिल्ली स्थित अपने घर पर रहने वाली किराएदार अमेरिकी नागरिक का रेप किया था। बताया गया कि अमेरिकी महिला यहां अपने पति के साथ रह रही थी। इस घटना की पीड़िता ने जून 2013 में शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदलत ने राजीव पंवार को दोषी मानते हुए 7 साल की सजा सुनाई थी।
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क्या है ‘डिजिटल रेप’?
जब कोई शख्स अपनी उंगली या उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए किसी से दुष्कर्म करता है तो इसे ‘डिजिटल रेप’ कहते हैं। पवार ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 25 हजार रुपए के निजी मुचलके भरने पर पांच जुलाई को उसे जमानत दे दी थी और कहा कि क्योंकि मामले के निस्तारण में कुछ वक्त लग सकता है, ऐसे में याचिका के लंबित रहने तक याचिकाकर्ता की सजा को स्थगित रखा जाए।
पीड़िता ने बताया अपना दर्द
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर पीड़ित महिला ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने एक वीडियो बनाया। वीडियो में महिला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले महीने मुझे बताया गया कि जिस व्यक्ति ने मुझ पर हमला किया, जिसे उसके अपराध की सजा दिलाने के लिये मुझे लड़ना पड़ा और उसे भारत में सजा मिली, उसे याचिका के बाद जमानत दे दी गई है।
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इसके बाद उसने 2013 में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना का विवरण दिया और कहा, “आप सजा पाए हुए अपराधियों को जमानत नहीं देते हैं।” उसने वीडियो में कहा कि मैं यहां सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास आई हूं ताकि उन दस्तावेजों को अधिसूचित करा सकूं जिससे उच्च न्यायालय को यह पता रहे कि मेरा वकील कौन है और मैं मुकदमे में हूं तथा एक बार फिर मुझे भारत में वाणिज्य दूतावास की सेवा और सहायता नहीं मिली।
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