नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को आतंकवाद के एक मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे और कथित तौर पर भूख हड़ताल पर बैठे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आवश्यक उपचार मुहैया कराने का शुक्रवार को निर्देश दिया।
मलिक के स्वास्थ्य देखभाल का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने केंद्र, दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल अधिकारियों को नोटिस जारी किया तथा उसके स्वास्थ्य के संबंध में एक वस्तु स्थिति रिपोर्ट भी मांगी।
मलिक के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक नवंबर से भूख हड़ताल पर है और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है।
अदालत ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। जेल अधीक्षक से याचिकाकर्ता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी जाए। साथ ही, याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों पर गौर करते हुए, जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि जेल नियमावली के अनुरूप याचिकाकर्ता को आवश्यक उपचार मुहैया कराया जाए।’’
मलिक को दिल्ली की एक अधीनस्थ अदालत ने 24 मई 2022 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उच्च न्यायालय में एक अपील दायर कर उसकी आजीवन कारावास की सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड में तब्दील करने का अनुरोध किया है।
वहीं, उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में, मलिक ने दावा किया कि वह ‘‘हृदय और गुर्दे के गंभीर रोगों’’ से पीड़ित है और वर्तमान में जिंदगी के लिए जूझ रहा है।
मलिक की याचिका में दावा किया गया है, ‘‘ऐसे कई बार हुआ जब याचिकाकर्ता गंभीर रूप से बीमार था या अधीनस्थ अदालत के समक्ष उसकी उपस्थिति अनिवार्य थी, लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की (धारा) 268 के आदेशों की आड़ में (मलिक को तिहाड़ जेल और दिल्ली में ही रखने) के लिए उसे न तो अस्पताल ले जाया गया और न ही अदालतों में पेश किया गया।’’
याचिका में दावा किया गया है कि मलिक राजनीति के क्षेत्र से है, इसलिए अधिकारियों ने उपयुक्त स्वास्थ्य जांच के उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
याचिका में कहा गया है, ‘‘प्रतिवादियों के दुर्भावनापूर्ण और लापरवाहीपूर्ण कृत्यों से याचिकाकर्ता का अनियमित उपचार हो रहा है और उसका वजन भी कम हो गया है तथा शरीर कमजोर हो गया है।’’
मलिक ने पहले भी उपचार मुहैया कराने का अनुरोध करते हुए इसी तरह की एक याचिका दायर की थी, जिसका अदालत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों द्वारा उसकी जांच और उसे मुहैया की गई आवश्यक चिकित्सा देखभाल के मद्देनजर निस्तारित कर दिया था।
मामले की सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
भाषा सुभाष पवनेश
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