नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति को मंगलवार को अधिसूचित कर दिया।
इस संबंध में, केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया है।’’
न्यायमूर्ति मनमोहन के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ कर 33 हो जाएगी, जो कुल मंजूर संख्या से एक कम है। शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश सहित कुल 34 न्यायाधीश हो सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 28 नवंबर को न्यायमूर्ति मनमोहन को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किये जाने की सिफारिश की थी।
शीर्ष अदालत में दो पद न्यायमूर्ति हिमा कोहली और पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद रिक्त हुए थे।
न्यायमूर्ति मनमोहन के नाम की सिफारिश करने वाले उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के बयान में कहा गया था, ‘‘न्यायमूर्ति मनमोहन अखिल भारतीय स्तर पर उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वरिष्ठता क्रम में दूसरे स्थान पर हैं और वह दिल्ली उच्च न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘उनके नाम की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि वर्तमान में उच्चतम न्यायालय की पीठ में दिल्ली उच्च न्यायालय के केवल एक न्यायाधीश का प्रतिनिधित्व है।’’
न्यायमूर्ति मनमोहन को 13 मार्च 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वह 29 सितंबर 2024 से इसके मुख्य न्यायाधीश हैं।
उन्हें नौ नवंबर 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति मनमोहन (61) नौकरशाह से राजनीतिक नेता बने (दिवंगत) जगमोहन के पुत्र हैं। जगमोहन ने तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के राज्यपाल और दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में भी सेवा दी थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता रहने के दौरान न्यायमूर्ति मनमोहन को 13 मार्च 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 17 दिसंबर 2009 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
उन्होंने ‘कैंपस लॉ सेंटर’, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1987 में वकालत के पेशे के लिए पंजीकरण कराया था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष है, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं।
भाषा सुभाष संतोष
संतोष