नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र को संशोधित नागरिकता अधिनियम के तहत नागरिकता पाने वाले पाकिस्तानी प्रवासियों के लिए एक व्यापक पुनर्वास पैकेज प्रदान करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है और केंद्र को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने को कहा।
याचिकाकर्ता अखिल भारतीय धर्म प्रसार समिति ने कहा कि पाकिस्तान से बड़ी संख्या में प्रवासी आए हैं, जिन्होंने संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 के तहत नागरिकता प्राप्त की है।
याचिका में कहा गया है कि प्रवासियों को भारत में सम्मान के साथ रहने के लिए व्यापक पुनर्वास उपायों की आवश्यकता है।
याचिका के अनुसार, इन प्रवासियों में से कुछ लोग दयनीय स्थिति में रह रहे हैं, जिसके कारण उन्हें आश्रय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पानी, बिजली और स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करने के लिए पुनर्वास उपाय प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि पुनर्वास पैकेज और इसकी आवश्यकता की सीमा ‘‘पूरी तरह से नीतिगत मामला’’ है।
बताया जाता है कि याचिकाकर्ता ने ऐसे व्यक्तियों के वास्ते पुनर्वास पैकेज पर विचार करने के लिए प्राधिकारियों के समक्ष पहले ही एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है।
पीठ ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, हम प्रतिवादियों को अभ्यावेदन पर विचार करने और तथ्यों या जानकारी के आधार पर निर्णय लेने का निर्देश देकर याचिका का निपटारा करना उचित समझते हैं।’’
अदालत ने कहा कि याचिका का मूल्यांकन और जांच प्रतिवादियों द्वारा विभिन्न मानदंडों के आधार पर की जाएगी।
भाषा सुरभि नरेश
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