(बीस नवंबर, 2024 को ‘‘अदालत वीवो लीड जमानत’’ स्लग से प्रकाशित खबर में हरि ओम राय से संबंधित जानकारी में सुधार के साथ रिपीट)
नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्मार्टफोन निर्माता वीवो से जुड़े धनशोधन के एक मामले में लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) हरिओम राय को बुधवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मोबाइल कंपनी ‘लावा’ के पूर्व अधिकारी को राहत दी जो पिछले साल अक्टूबर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद से हिरासत में थे।
अदालत ने हिरासत अवधि के साथ-साथ इस तथ्य पर भी गौर किया कि अन्य सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई है और मुकदमा अभी ‘‘बहुत ही शुरुआती चरण’’ में है। अदालत ने निर्देश दिया कि राय को एक लाख रुपये के निजी जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के एक मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाए।
अदालत ने यह भी कहा कि वह प्रथम दृष्टया संतुष्ट है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 में उल्लेखित जमानत देने की ‘‘दो शर्तें’’ वर्तमान मामले में पूरी हुई हैं।
राय को वीवो-इंडिया और अन्य के खिलाफ मामले में धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा और अधिवक्ता अभय राज वर्मा ने किया।
अदालत ने 25 पन्नों के फैसले में दोहराया कि पीएमएलए की धारा 45 को कारावास के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और धनशोधन मामले में एक आरोपी की तुलना हत्या, बलात्कार, डकैती आदि जैसे अपराधों का सामना कर रहे आरोपियों से नहीं की जा सकती है, जिनमें मौत या आजीवन कारावास की सजा के प्रावधान हैं।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में कई आरोपी व्यक्ति थे, हजारों पन्नों के साक्ष्य और कई गवाह थे और इसलिए निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की उम्मीद नहीं है। अदालत ने आदेश दिया, ‘‘आवेदक को नियमित जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते वह संबंधित जेल अधीक्षक/निचली अदालत/ड्यूटी जेएम/लिंक जेएम की संतुष्टि के साथ 1,00,000 रुपये के निजी जमानती बॉण्ड और समान राशि का एक मुचलका प्रस्तुत करे तथा कुछ शर्तों के अधीन।’’
ईडी ने इससे पहले चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो-इंडिया और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोकथाम अधिनियम की आपराधिक धाराओं के तहत एक आरोप-पत्र दायर किया था।
एक निचली अदालत ने सितंबर में राय को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राहत के लिए कोई आधार नहीं बनता।
ईडी ने दावा किया है कि आरोपी की कथित गतिविधियों के कारण वीवो-इंडिया गलत तरीके से लाभ अर्जित कर सकी, जो देश की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक था।
ईडी ने आरोप लगाया है कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो-इंडिया द्वारा 62,476 करोड़ रुपये ‘‘अवैध रूप से’’ चीन को हस्तांतरित किए गए थे।
कंपनी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह ‘‘अपने नैतिक सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करती है और कानून के अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है।’’
धनशोधन रोधी एजेंसी ने जुलाई 2022 की शुरुआत में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ छापेमारी की थी और चीनी नागरिकों एवं कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े धनशोधन रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था।
भाषा सुरेश मनीषा
मनीषा