नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) पानी की कमी से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी में टैंकर माफिया को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को उच्चतम न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के एक दिन बाद, दिल्ली सरकार ने दावा किया कि यमुना नदी के हरियाणा वाले हिस्से में टैंकर माफिया सक्रिय हैं, जिस पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा कि पानी के टैंकरों की जरूरत उन क्षेत्रों में है, जो पानी की आपूर्ति लाइन से जुड़े नहीं हैं या जहां आपूर्ति अपर्याप्त है।
हलफनामा के अनुसार, शहर में दिल्ली जल बोर्ड और निजी टैंकरों द्वारा प्रतिदिन लगभग 50 से 60 लाख गैलन पानी की आपूर्ति की जाती है, जो कुल आपूर्ति का केवल आधा प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है, ‘‘दिल्ली जल बोर्ड पानी के टैंकरों की उपलब्धता में सुधार करने की कोशिश कर रहा है, ताकि निजी टैंकरों को भी सार्वजनिक टैंकरों से बदला जा सके। सरकार द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल को कई पत्र लिखे गए हैं। उपराज्यपाल इस दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत हैं।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यमुना नदी के हरियाणा वाले हिस्से में टैंकर माफिया सक्रिय हैं। उस क्षेत्र पर डीजेबी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।’’
पानी की बर्बादी को रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए इसमें कहा गया है कि इसने हरियाणा से दिल्ली तक पानी के बहाव में होने वाले नुकसान को 30 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘डीजेबी ने कैरीड लाइन्ड चैनल (सीएलसी) के निर्माण में लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किए और नदी के मार्ग में नुकसान 30 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह गया।’’
दिल्ली सरकार ने कहा कि डीजीबी के अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में प्रतिदिन निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है, ताकि पानी की टंकियों के ओवरफ्लो होने, निर्माण स्थलों पर पानी के उपयोग, अवैध कनेक्शन आदि के माध्यम से पीने योग्य पानी की बर्बादी/ दुरुपयोग की जांच की जा सके और आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को टिप्पणी की थी कि दिल्ली में भीषण जलसंकट है। न्यायालय ने पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया को लेकर आप सरकार की आलोचना की और जानना चाहा कि इस समस्या के हल के लिए दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने आप सरकार से कहा था कि अगर वह टैंकर माफिया से नहीं निपट सकती तो वह दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहेगी।
न्यायालय ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि अगर पानी को टैंकरों का उपयोग करके ले जाया जा सकता है, तो इसकी आपूर्ति पाइपलाइन के माध्यम से क्यों नहीं की जा सकती है।
शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हरियाणा को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए अधिशेष पानी को राष्ट्रीय राजधानी को छोड़े, ताकि उसका जलसंकट दूर हो सके।
भाषा
सुरेश माधव
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