नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी शैलेन्द्र शर्मा ने रविवार को विभाग के उस आदेश की आलोचना की जिसमें सरकारी स्कूलों में लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों का ‘‘अनिवार्य’’ तबादला करने का निर्देश दिया गया है।
शर्मा शिक्षा निदेशक के पूर्व प्रधान सलाहकार रह चुके हैं।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा हाल में जारी आदेश में सभी श्रेणियों के शिक्षकों से तबादले के लिए 26 जून तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, ताकि वे तबादले के लिए अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार विकल्प दे सकें।
शिक्षा निदेशालय ने 11 जून को एक आदेश में कहा, ‘‘एक ही विद्यालय में लगातार 10 वर्ष पूरे कर चुके सभी शिक्षकों को आपसी सहमति या सामान्य रूप से अधिकतम संख्या में विद्यालयों का चयन करने के आधार पर तबादले के लिए अनिवार्य रूप से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जो शिक्षक ऑनलाइन आवेदन नहीं करेंगे, मुख्यालय स्वयं ही उनका आधिकारिक आवश्यकता के अनुसार किसी भी स्कूल में तबादला कर देगा।’’
शर्मा ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के संबंध को बाधित करेगा और साथ ही यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘नया आदेश जारी कर दस साल से अधिक समय से एक ही स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को चेतावनी दी गई है कि वे स्वयं किसी अन्य स्कूल में तबादले के लिए आवेदन करें, अन्यथा प्रशासन अपनी मर्जी से उन्हें किसी भी स्कूल में पदस्थ कर देगा।’’
शर्मा ने आरोप लगाया कि यह आदेश दिल्ली सरकार या शिक्षा मंत्री आतिशी से परामर्श किए बिना जारी किया गया।
उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली सरकार के स्कूलों में लंबे समय से कार्यरत लगभग 6,000 शिक्षकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इस वर्ष अप्रैल में, शर्मा को सतर्कता विभाग के निर्देश पर प्रधान सलाहकार के पद से हटा दिया गया था। उनकी नियुक्ति को अवैध और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना की गई नियुक्ति करार दिया गया था।
भाषा रवि कांत नेत्रपाल
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