नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में अपनी नाबालिग बहन के साथ दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने के आरोप में एक व्यक्ति को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहित गुलिया ने 24 वर्षीय आरोपी को दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया।
विशेष लोक अभियोजक चंदर जीत यादव ने दोषी के लिए अधिकतम सजा का अनुरोध करते हुए कहा कि यह एक जघन्य अपराध है।
अदालत ने पिछले वर्ष दिसंबर में पाया कि आरोपी का डीएनए पीड़िता के भ्रूण से मेल खाता है।
अदालत ने कहा कि पीड़िता ने शुरू में शिकायत की थी लेकिन ‘अपने भाई को बचाने’ के लिए वह अपने बयान से पलट गई, जिसके बाद उसे दोषी ठहराया गया। अदालत ने 17 जनवरी को दोषी को यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने फैसले में कहा कि दुष्कर्म के समय पीड़िता की उम्र लगभग 15 वर्ष थी और दोषी के कृत्य के कारण, पीड़िता गर्भवती हो गई और उसे बहुत अधिक भावनात्मक व शारीरिक आघात सहना पड़ा।
पीड़िता को मुआवजे के रूप में 13.5 लाख रुपये दिए गए।
भाषा जितेंद्र रंजन
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