नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2019 के एक मकोका मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा है कि वे ‘‘प्रथम दृष्टया’’ एक संगठित अपराध गिरोह के सदस्य थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवाली शर्मा ने संगठित अपराध गिरोह के सदस्यों द्वारा बेहिसाब संपत्ति रखने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि उनके पास कई अघोषित चल और अचल संपत्तियां हैं।
अदालत ने हालांकि, 2019 में दर्ज प्राथमिकी में नामजद पांच व्यक्तियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता।
अदालत 21 आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी, जिनके खिलाफ हरि नगर पुलिस थाने ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 3 और 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
दस दिसंबर को जारी 76 पृष्ठ के आदेश में अदालत ने कहा, “जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों और दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया एक संगठित अपराध गिरोह की गतिविधियों के बारे में पता चलता है, जो जबरन वसूली, निर्दोष व्यक्तियों की संपत्तियों पर बलपूर्वक कब्जा करने, हथियारों का प्रदर्शन करके आम लोगों को धमकाने तथा हथियारों के बल पर पैसे मांगने जैसी अवैध गतिविधियों में लिप्त था।”
अदालत ने कहा कि आरोपी सलमान त्यागी गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त गिरोह का सरगना जबकि राहुल गुप्ता, परविंदर, रोशन लाल, सद्दाम, दीपक, शाहनवाज त्यागी, मोहम्मद सैयद, मुंतजीर त्यागी, मोहम्मद शौकत और मुस्तफा त्यागी प्रथम दृष्टया संगठित अपराध गिरोह के सदस्य प्रतीत होते हैं।
अदालत ने आठ आरोपियों के खिलाफ मकोका की धारा 4 के तहत आरोप तय करने का आदेश भी दिया और कहा कि उनके पास कई बेहिसाबी चल और अचल संपत्तियां पाई गई हैं। जिन लोगों को आरोपमुक्त किया गया है, उनमें इरशाद, राजेश, सौरव भार्गव, रोहित कुमार और राजुद्दीन शामिल हैं।
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