नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए बने आशा किरण आश्रय गृह के संवासियों को नए भवन में स्थानांतरित करने के उसके आदेश का पालन नहीं करने को लेकर दिल्ली सरकार की मंगलवार को खिंचाई की। इस आश्रय गृह में 14 मौतें हुई थीं।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण मानव जीवन की हानि नहीं होने दी जा सकती और दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के सचिव को 2 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
आशा किरण गृह में भीड़भाड़ कम करने के लिए वहां रहने वालों को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। अगस्त में आशा किरण गृह में 570 की क्षमता के मुकाबले 928 संवासी थे।
अदालत ने अधिकारियों द्वारा वादा करने तथा उसके बाद न्यायिक आदेशों का पालन न करने पर असंतोष व्यक्त किया।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि समाज कल्याण विभाग के सचिव ने 12 अगस्त को अदालत के समक्ष बयान दिया था कि दिल्ली सरकार ने नरेला में एमसीडी के नर्सिंग कॉलेज और छात्रावास को नगर निकाय द्वारा निर्धारित मूल्य पर खरीदने पर सहमति व्यक्त की है।
उसने कहा कि हालांकि, अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है और अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) द्वारा प्रस्तुत किया गया है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा तैयार प्रस्ताव पर विचार करने के बाद, वित्त विभाग ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘आपके सचिव (समाज कल्याण विभाग के) अदालत में आए और बयान दिया कि भवन एमसीडी द्वारा निर्धारित कीमत पर खरीदा जाएगा। लेकिन पिछले कुछ महीनों में कुछ नहीं हुआ। हम उसी स्थान पर हैं जहां 12 अगस्त को इसकी शुरुआत हुई थी।’’
दिल्ली सरकार की स्थिति रिपोर्ट पढ़ने के बाद अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि 12 अगस्त के आदेश में दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ने अदालत को आश्वासन दिया कि एमसीडी के प्रस्ताव, जिसे अब संशोधित किया गया है, पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
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