Dark Days Of Emergency : पीएम नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी के नायकों को अर्पित की श्रद्धांजलि, कहा- काले दिन हमारे इतिहास में एक अविस्मरणीय अवधि

Dark Days Of Emergency : 25 जून 1975 ये एक ऐसी तारीख है जिसे कोई नहीं भूल सकता। इस दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून 1975 का काला

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  • Publish Date - June 25, 2023 / 02:33 PM IST,
    Updated On - June 25, 2023 / 02:33 PM IST

नई दिल्ली : Dark Days Of Emergency : 25 जून 1975 ये एक ऐसी तारीख है जिसे कोई नहीं भूल सकता। इस दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून 1975 का काला दिन कभी नहीं भुलाया जा सकता। यही वह तारीख थी, जब कांग्रेस सरकार ने देशवासियों पर इमरजेंसी थोपा था। गौरतलब है कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 माह की अवधि में देश में इमरजेंसी लगाई थी। तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी। इस दरमियान लोकतांत्रिक देश की दुहाई देने वाली कांग्रेस ने आम चुनाव स्थगित करने में भी अहम भूमिका निभाई थी।

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पीएम मोदी ने किया ट्वीट

पीएम मोदी ने आपातकाल की बरसी पर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि आपातकाल की बरसी के मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया- ”मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया. #DarkDaysOfEmergency हमारे इतिहास की कभी न भूलाने वाली वो अवधि है, जो हमारे संविधान की ओर से बनाए गए मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है।”

काला दिवस मनाएगी बीजेपी

Dark Days Of Emergency : भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान किया है कि 48वीं बरसी पर काला दिवस मनाया जाएगा। बीजेपी सरकार ने कांग्रेस पार्टी को घेरने के लिए गौतमबुद्ध नगर में सार्वजनिक बैठक आयोजित किए जाने का फैसला किया है। सार्वजनिक बैठक को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संबोधित भी करने वाले है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन दिनों में आपातकाल लगा था उन दिनों को डार्क डेज ऑफ इमरजेंसी बताया है।

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जयप्रकाश नारायण ने शुरू किया था ‘सम्पूर्ण क्रांति’ आंदोलन

Dark Days Of Emergency : बता दें कि, 48 साल पहले 1975 में 25 जून को जब अचानक पूरे देश में आपातकाल की घोषणा हुई तो सब सन्न रह गए थे। 21 महीने तक चला यह आपातकाल कितनी परेशानियों से भरा था। इसे जिसने देखा, समझा, महसूस किया और झेला था उनकी जुबानी सुन लें तो आपकी रूह कांप जाएगी। इस आपातकाल के खिलाफ बिहार की धरती ने एक जननायक को जन्म दिया नाम था जयप्रकाश नारायण जिन्होंने इंदिरा गांधी की इस आपातकाल के खिलाफ ‘सम्पूर्ण क्रांति’ नामक आन्दोलन को खड़ा कर दिया। जयप्रकाश नारायण स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले चुके थे और उन्हें लोकनायक जय प्रकाश नारायण कहकर पुकारा जाता था। इस दौर में वह इंदिरा की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।

तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गंधी थी। उन्होंने जैसे ही आपातकाल की घोषणा की तत्काल सबसे पहले प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई। मतलब यहां से एक ऐसे अध्याय की शुरुआत हुई जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। यही वजह रही कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय कहकर संबोधित किया था। उस समय देश के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद थे और उन्होंने इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।

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पीएन हक्सर कर रहा था सत्ता को संचालित

Dark Days Of Emergency : कहते हैं कि तब इंदिरा गांधी ने सत्ता को पीएम दफ्तर से ही संचालित करना शुरू कर दिया था। मतलब सीधे तौर पर कहें तो देश की सारी शक्तियों का केंद्र पीएम का कार्यालय हो गया था। सरकार की सारी शक्तियां यहीं केंद्रित हो गई थी। इंदिरा के सबसे करीबी पीएन हक्सर यानी परमेश्वर नारायण हक्सर के द्वारा सत्ता को संचालित किया जा रहा था। वह इंदिरा के सबसे भरोसे के आदमी थे तो उनके हाथ में ही सत्ता की चाबी थी।

इंदिरा गांधी 1971 में गरीबी हटाओ के नारे के साथ चुनाव के मैदान में उतरी तो उन्हें उस चुनाव में बड़ी सफलता मिली। हालांकि इस आम चुनाव में इंदिरा के खिलाफ एक मामला चुनाव में धांधली का इलाहाबाद हाईकोर्ट में था। जिसका फैसला 1975 में आया जिसने भारत की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया। इस फैसले में इंदिरा गांधी को 6 साल तक किसी भी पद को संभालने पर प्रतिबंध लगा फिर क्या था 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई।

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कोर्ट ने सुनाया था इंदिरा के खिलाफ फैसला

Dark Days Of Emergency : दरअसल 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने जिसे शिकस्त दी थी उनका नाम था राजनारायण जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा के चुनाव में जीत के खिलाफ याचिका दाखिल की और दलील में कहा कि इंदिरा की तरफ से सरकारी तंत्र का तो बेजा इस्तेमाल किया ही गया। साथ ही खूब पैसे भी जो निर्धारित सीमा से कहीं ज्यादा थे चुनाव में पानी की तरह बहाए गए। अदालत नें राजनारायण के इन्हीं आरोपों को सही पाया और इंदिरा के खिलाफ यह फैसला सुनाया।

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