(कुणाल दत्त)
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) भारत ने वर्ष 2024 में पहली बार विश्व धरोहर समिति के सत्र की मेजबानी की जिसमें असम के अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली (टीलेनुमा संरचना में दफनाने की व्यवस्था)को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया, जबकि साल के अंत में ब्रिटिश युग के ‘नॉर्थ ब्लॉक’ और ‘साउथ ब्लॉक’ को भव्य संग्रहालय में बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
यह संस्कृति मंत्रालय के लिए घटनाओं से भरा वर्ष रहा जिसने अब अपनी नजरें प्रयागराज में आगामी महाकुंभ पर टिका दी हैं। मंत्रालय ने देश की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए 2025 की शुरुआत में महाकुंभ में एक ‘थिमेटिक‘ गांव ‘कलाग्राम’ स्थापित करने की योजना बनाई है।
इस वर्ष मंत्रालय के शीर्ष नेतृत्व में कुछ बड़े बदलाव भी देखे गए। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, इसके पहले जी किशन रेड्डी के पास यह मंत्रालय था।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी गोविंद मोहन, जो पहले केंद्रीय संस्कृति सचिव के रूप में कार्यरत थे, को केंद्रीय गृह सचिव नियुक्त किए जाने के बाद आईएएस अरुणीश चावला को अगस्त में मंत्रालय में सचिव पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
वर्ष 2024 भारत के सांस्कृतिक इतिहास में मील के पत्थर के रूप में रहा, क्योंकि 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने नए राम मंदिर में भव्य ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
इस भव्य कार्यक्रम के एक महीने बाद, ऐतिहासिक प्राणप्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी (एनजीएनए) में महाकाव्य रामायण पर आधारित कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली और दो महीने तक चलने वाली एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गई थी।
‘चित्राकाव्यम रामायणम’ शीर्षक वाली इस प्रदर्शनी में एनजीएमए की कलाकृतियों के साथ-साथ कई अन्य स्रोतों से ली गई कलाकृतियों का समृद्ध संग्रह भी प्रदर्शित किया गया।
फरवरी और मार्च के महीनों में थाईलैंड के विभिन्न स्थानों पर भगवान बुद्ध के साथ-साथ उनके शिष्यों अर्हत सारिपुत्र और अर्हत मुद्ग्लायन के कुछ पवित्र अवशेषों की 26-दिवसीय विशेष प्रदर्शनी की मेजबानी की गई।
दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों द्वारा पूजनीय इन अवशेषों को 22 फरवरी को ‘राज्य अतिथि’ के दर्जे के अनुरूप भारतीय वायु सेना के एक विशेष विमान में थाईलैंड ले जाया गया और फिर पूरे राजकीय सम्मान के साथ भारत लाया गया।
भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पिपराहवा स्थित चार पवित्र अवशेष भारत में संरक्षित हैं। जबकि भगवान बुद्ध के अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय के संरक्षण में हैं।
मंत्रालय के लिए मार्च माह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ लोगों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए अपनी संशोधित वेबसाइट का अनावरण करने और ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0’ कार्यक्रम के तहत स्मारकों के अंगीकरण के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिहाज से व्यस्त रहा।
देश के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब नई दिल्ली ने 21 जुलाई से 31 जुलाई के बीच विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र की मेजबानी की।
असम में अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली ‘मोइदम्स’ को 26 जुलाई को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया, यह प्रतिष्ठित दर्जा पाने वाली पूर्वोत्तर की यह पहली सांस्कृतिक संपदा है।
‘मोइदम्स’ को वर्ष 2023-24 के लिए यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए भारत के नामांकन के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
जनवरी में मंत्रालय ने कहा था कि मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाला ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ को भारत की ओर से यूनेस्को दर्जा देने के लिए 2024-25 में नामांकित किया जाएगा।
इस नामांकन के 12 घटक हैं – महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का जिंजी किला।
वर्ष के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘उत्कल केशरी’ हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम और पहले एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इन दोनों कार्यक्रमों का आयोजन मंत्रालय द्वारा किया गया था।
भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मंत्रालय द्वारा 26 नवंबर से साल भर चलने वाले समारोहों के शुरुआत की घोषणा की गई थी।
वर्ष समाप्त होने से पहले भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय और फ्रांस संग्रहालय विकास ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत फ्रांसीसी एजेंसी नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को ‘वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र’ में बदलने के तौर-तरीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेगी, इसे ‘युग युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय’ कहा जा रहा है।
शेखावत ने अपने संबोधन में कहा कि नया तीन मंजिला संग्रहालय 1.17 लाख वर्ग मीटर में बनेगा जिसमें 950 कक्ष होंगे।
भाषा संतोष पवनेश
पवनेश