विश्वसनीयता किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी पूंजी है, भाजपा इससे कभी समझौता नहीं करती: राजनाथ

विश्वसनीयता किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी पूंजी है, भाजपा इससे कभी समझौता नहीं करती: राजनाथ

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  • Publish Date - November 15, 2024 / 08:15 PM IST,
    Updated On - November 15, 2024 / 08:15 PM IST

रांची, 15 नवंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि विश्वसनीयता किसी भी राजनीतिक संगठन की सबसे बड़ी संपत्ति है और दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी इसके साथ समझौता नहीं किया, जबकि अन्य पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए झूठे वादे करती हैं।

उन्होंने लोगों से भाजपा को वोट देने और अगले दो कार्यकाल के लिए राजग सरकार बनाने में भाजपा की मदद करने का आग्रह किया ताकि झारखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाया जा सके।

रक्षा मंत्री ने रांची के खिजरी में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “विश्वसनीयता किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी पूंजी होती है और भाजपा इससे कभी समझौता नहीं करती। इसने जनसंघ के समय से किए गए सभी वादों को पूरा किया है, जबकि अन्य राजनीतिक दल झूठे वादे करते हैं और सत्ता में बने रहने के लिए जनता को धोखा देते हैं।”

उन्होंने दावा किया कि भारत तेजी से विकास कर रहा है, लेकिन झारखंड की प्रगति मौजूदा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नीत गठबंधन सरकार में रुक गई है।

सिंह ने यह भी कहा कि झारखंड में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए मौजूदा व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। भाजपा नेता ने भरोसा जताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी “वोट हासिल करने के लिए जनता को मूर्ख बनाने” के वास्ते जाति आधारित जनगणना का वादा कर रहे हैं।

सिंह ने दावा किया कि 2011 में देश में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना की गई थी और लगभग 46 लाख जातियों, उपजातियों और गोत्रों की मौजूदगी पाई गई थी।

उन्होंने जानना चाहा कि कांग्रेस विभिन्न जातियों के लोगों के बीच आरक्षण का वितरण कैसे करेगी।

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से चंपई सोरेन के इस्तीफे को लेकर झामुमो नीत गठबंधन पर भी हमला बोला।

सिंह ने दावा किया, “अगर चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बने रहने दिया जाता तो कोई समस्या नहीं थी, लेकिन वे (झामुमो नीत गठबंधन) झारखंड को लूटना चाहता था।”

भाषा प्रशांत पवनेश

पवनेश