राज्यसभा में माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास का राज्यपाल संबंधी निजी विधेयक नहीं हो सका पेश

राज्यसभा में माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास का राज्यपाल संबंधी निजी विधेयक नहीं हो सका पेश

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 03:48 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 03:48 PM IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को राज्यपाल के दायित्वों संबंधी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का एक निजी विधेयक पेश नहीं हो पाया क्योंकि उच्च सदन ने इसे पेश करने के प्रस्ताव को 21 के मुकाबले 56 मतों से खारिज कर दिया।

उच्च सदन में शुक्रवार को दोपहर दो बजे गैर-सरकारी कामकाज शुरू हुआ। इस दौरान माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास ने संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 (अनुच्छेद 158 का संशोधन) विधेयक पेश करने का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के परामर्श के अनुसार संविधान के प्रावधानों के दायरों में रहते हुए अपना दायित्व निभाना चाहिए।

सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा जब इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया गया तो उपसभापति हरिवंश ने ब्रिटास को इस विधेयक पर अपनी बात रखने का अवसर दिया। ब्रिटास ने कहा कि केंद्र सरकार प्राय: सहयोगात्मक संघवाद की बात करती है। उन्होंने कहा कि एक प्रासंगिक मुद्दा है जिससे सहयोगात्मक संघवाद और देश के संघीय चरित्र को क्षति पहुंच रही है।

उन्होंने कहा कि उनका विधेयक केवल इस बारे में है कि संविधान की भावना का पूरी तरह पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की तमाम टिप्पणियों और विभिन्न आयोगों की सिफारिशों में यह बात कही गयी है कि राज्यपालों को मंत्रिपरिषद के परामर्श के अनुसार काम करना चाहिए किंतु अभी यह हो रहा है कि राज्यपालों को निर्वाचित सरकारों के पीछे लगा दिया गया है।

भाजपा के सुंधाशु त्रिवेदी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि संविधान के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है। उन्होंने प्रश्न किया कि यदि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के परामर्श के अनुरूप चलने के लिए कहा जाता है तो फिर राष्ट्रपति का अधिकार कहां रह जाता है।

इसके बाद जब सदन में हंगामा होने लगा तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उपसभापति का ध्यान इस ओर दिलाया कि उन्होंने इससे पहले इस विधेयक के बारे में यह कह दिया कि इसके पक्ष में अधिक मत मिले। उपसभापति ने कहा कि वह अपनी घोषणा को ठीक कर दोहरा रहे हैं।

हंगामे के बीच राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने आसन को उसकी एक पुरानी व्यवस्था के बारे में ध्यान दिलाया जबकि कांग्रेस के जयराम रमेश ने संविधान के अनुच्छेद 153 का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल की दोहरी भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के साथ ही राज्य परिषद के परामर्श से बाध्य होता है।

इसके बाद उप सभापति ने ब्रिटास के निजी विधेयक पर सदन में मत विभाजन कराया। मत विभाजन में इस विधेयक को पेश करने के प्रस्ताव को 21 के मुकाबले 56 मतों से खारिज कर दिया गया।

उच्च सदन में आज भाजपा के ईरण्ण कडाडी ने तीन निजी विधेयक पेश किए। इनमें लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक, संविधान (संशोधन) विधेयक 2022 (नये अनुच्छेद 21ख का अंत:स्थापन) और निशुल्क, अनिवार्य एवं गुणवत्तापूर्ण बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।

द्रमुक के आर गिरिराजन ने जहां हिंदू विवाह (संशोधन) विधेयक पेश किया, वहीं बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 (अनुच्छेद 263 का प्रतिस्थापन तथा सातवीं एवं आठवीं अनुसूची का संशोधन) तथा माकपा के ए रहीम ने संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 (अनुच्छेद 164 का संशोधन) पेश किया।

राजद के ए डी सिंह ने तीन निजी विधेयक पेश किए। इनमें भारतीय न्याय संहिता (संशोधन) विधेयक तथा संविधान (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।

इसके अलावा माकपा के वी शिवदासन ने तीन, द्रमुक के तिरूचि शिवा ने एक तथा भाकपा के संतोष कुमार पी ने एक निजी संशोधन विधेयक पेश किए।

भाषा

माधव अविनाश

अविनाश