न्यायालय ने थाने में बहनोई की हत्या के दोषी की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी

न्यायालय ने थाने में बहनोई की हत्या के दोषी की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी

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  • Publish Date - July 3, 2024 / 10:07 PM IST,
    Updated On - July 3, 2024 / 10:07 PM IST

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दो दशक से भी अधिक समय पहले यहां एक थाने के अंदर अपने बहनोई की गोली मार कर हत्या करने वाले एक कांस्टेबल की दोषसिद्धि और उम्र कैद की सजा को बुधवार को बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने दोषी सुरेन्द्र सिंह की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़ित उसकी हत्या करने वहां आया था और अपराध आत्मरक्षा में किया गया था, इसलिए इसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत हत्या नहीं करार दिया जा सकता।

न्यायमूर्ति धूलिया ने 23 पन्नों के फैसले में कहा, ‘‘यह कुछ और नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। अपराध में इस्तेमाल किया गया हथियार, मृतक पर चलाई गई गोली, शरीर के जिस हिस्से पर गोली मारी गई–ये सभी चीजें इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि अपीलार्थी ने उसकी हत्या करने का मन बना लिया था।’’

फैसले में कहा गया है कि किसी भी तरह से यह हत्या से कमतर मामला नहीं है और निश्चित रूप से यह गैर इरादतन हत्या नहीं है।

शीर्ष अदालत ने निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसलों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया तथा दोषी को जमानत देने के अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया।

इसने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों से पता चलता है कि मौजूदा मामला दिल्ली के एक पुलिस थाने के अंदर की गई वीभत्स हत्या का है।’’

फैसले में कहा गया है, ‘‘इस तरह, अपील खारिज की जाती है। अपीलार्थी को जमानत देते हुए दो अप्रैल 2012 को जारी अंतरिम आदेश निरस्त माना जाए और उसे आज से चार हफ्तों के अंदर अधीनस्थ अदालत में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘इस फैसले की एक प्रति अधीनस्थ अदालत को भेजी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अपीलार्थी आत्मसमर्पण करे और अपनी सजा की शेष अवधि जेल में बिताये।’’

अभियोजन ने अदालत से कहा कि पीड़ित ने दोषी की चचेरी बहन से शादी की थी और वह उसका पड़ोसी भी था।

अभियोजन के अनुसार, पीड़ित का दोषी की पत्नी के साथ अवैध संबंध था और 30 जून 2002 को वह (पीड़ित) मयूर विहार थाने गया था, जहां दोषी तैनात था।

पीड़ित और दोषी को थाने के अंदर एक दूसरे से बातचीत करते हुए देखा गया था, जिसके कुछ ही मिनट बाद गवाहों – अन्य पुलिस कर्मियों – ने दोषी को अपने सरकारी हथियार से पीड़ित की हत्या करते देखा था।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश