बेंगलुरु, 23 जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक अंतरिम आदेश जारी करके राज्य (सरकार) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सी टी रवि के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर 30 जनवरी तक कोई और कार्रवाई करने से रोक दिया।
प्राथमिकी में रवि पर विधान परिषद के एक सत्र के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के खिलाफ कथित रूप से अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने रवि द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किया, जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। अब अदालत को यह तय करना है कि क्या यह मामला पूरी तरह विधान परिषद के सभापति के अधिकार क्षेत्र में आता है या पुलिस जैसी बाहरी एजेंसियां भी इसकी जांच कर सकती हैं।
सुनवाई के दौरान, रवि के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सी वी नागेश ने सीता सोरेन बनाम भारत संघ मामले में मार्च 2024 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी कि विधायी प्रतिरक्षा को रवि को पुलिस जांच से बचाना चाहिए क्योंकि घटना विधायी परिसर के भीतर हुई थी।
हालांकि, विशेष लोक अभियोजक बी ए बेलियप्पा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विधायिका के भीतर आपराधिक कृत्य स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षा के योग्य नहीं हैं और ऐसे अपराधों को अभी भी कानूनी जांच के अधीन होना चाहिए।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने इस मामले में अधिकार क्षेत्र की जटिलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘मुद्दा अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर आकर खत्म होता है: क्या सभापति कार्यवाही बंद कर सकते हैं, या अपराध की जांच किसी बाहरी एजेंसी द्वारा की जा सकती है। इस मुद्दे का जवाब चाहिए।’’
उन्होंने मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को करना निर्धारित किया।
रवि को बेलगावी पुलिस ने 19 दिसंबर, 2024 को गिरफ्तार किया था, लेकिन अगले दिन उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अंतरिम जमानत दिए जाने और उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता पर सवाल उठाए जाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
भाषा अमित पवनेश
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