मानहानि मामला: अदालत ने मेधा पाटकर को पांच महीने जेल की सजा सुनायी

मानहानि मामला: अदालत ने मेधा पाटकर को पांच महीने जेल की सजा सुनायी

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  • Publish Date - July 1, 2024 / 05:30 PM IST,
    Updated On - July 1, 2024 / 05:30 PM IST

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने मानहानि के एक मामले में पांच महीने के साधारण कारावास की सोमवार को सजा सुनायी।

यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने उनके खिलाफ उस वक्त दायर किया था जब वह (सक्सेना) गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने पाटकर को यह सजा अपने समक्ष मौजूद सबूतों और इस तथ्य पर विचार करने के बाद सुनायी कि मामला दो दशक से अधिक समय तक चला।

हालांकि, अदालत ने पाटकर को आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का मौका देने को लेकर सजा को एक महीने के लिए निलंबित कर दिया।

‘प्रोबेशन’ पर रिहा करने के पाटकर के अनुरोध को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘तथ्यों… नुकसान, उम्र और बीमारी (आरोपी की) को देखते हुए, मैं अधिक सजा सुनाने के पक्ष में नहीं हूं।’

इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष तक की साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

गत 24 मई को अदालत ने कहा था कि सक्सेना को ‘देशभक्त नहीं, बल्कि कायर कहने वाला और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने संबंधी पाटकर का बयान न केवल अपने आप में मानहानि के समान है, बल्कि इसे नकारात्मक धारणा को उकसाने के लिए गढ़ा गया था।’’

अदालत ने कहा था कि साथ ही ‘यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है, उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है।’

सजा पर अदालत में बहस 30 मई को पूरी हो गई थी, जिसके बाद फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था।

पाटकर और सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से ही एक कानूनी लड़ाई जारी है, जब पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के विरुद्ध एक वाद दायर किया था।

सक्सेना ने एक टीवी चैनल पर उनके (सक्सेना) खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और प्रेस में मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए भी पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे। सक्सेना तब अहमदाबाद के एक एनजीओ ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ का नेतृत्व कर रहे थे।

भाषा अमित सुभाष

सुभाष