नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति घोटाला मामलों में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठकों की अनुमति दिये जाने का अनुरोध किया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने इस कदम का विरोध किया और कहा कि कानून सभी के लिए समान है।
आम आदमी पार्टी (आप) नेता केजरीवाल के वकील ने कहा कि वह देशभर में लगभग 35 मामलों का सामना कर रहे हैं और निष्पक्ष सुनवाई के लिए उन्हें इन मामलों पर चर्चा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठकें करने की जरूरत है।
केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दलील दी कि ऐसे कई कैदी हैं जिनके खिलाफ 100 मामले लंबित हैं और उन्हें अपने वकीलों से केवल दो बार मुलाकात की अनुमति है।
ईडी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल वकीलों के साथ अपनी बैठकों का इस्तेमाल दिल्ली सरकार के मंत्रियों को निर्देश भेजने के लिए कर रहे थे।
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि वह आदेश सुरक्षित रख रही हैं और आदेश चैंबर में पारित किया जाएगा।
केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए जेल अधिकारियों के वकील ने कहा कि उन्होंने शुरू में अपने वकीलों के साथ केवल दो अतिरिक्त भौतिक मुलाकातों की अनुमति का अनुरोध किया था और अब वह दो और ऑनलाइन मुलाकात चाहते हैं।
ईडी के वकील ने कहा कि इसी तरह का आवेदन एक जनहित याचिका में उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष किया गया था, लेकिन आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
वकील ने कहा कि दिल्ली जेल के नियम देश के अन्य हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक उदार हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जेलों में सभी कैदियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है और सभी को सप्ताह में दो बार अपने वकीलों से मिलने का मौका मिलता है।
दलीलों का विरोध करते हुए केजरीवाल के वकील ने कहा कि ईडी को इस मामले में कुछ नहीं कहना चाहिए क्योंकि वह न्यायिक हिरासत में हैं और जेल अधिकारी मामले में मुख्य पक्षकार हैं।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपने मंत्रियों को अपने वकीलों के माध्यम से संदेश उस समय भेजे थे जब वह पुलिस हिरासत में थे, न कि तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में।
दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल की उस अर्जी को एक जुलाई को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जेल अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकात की अनुमति के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था।
जेल में बंद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को फिलहाल अपने वकीलों से प्रति सप्ताह दो बार मुलाकात की अनुमति है।
उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की उन याचिकाओं पर भी अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिनमें आबकारी नीति मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी किये जाने को चुनौती दी गई है और अंतरिम जमानत का अनुरोध किया गया है।
केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था जहां पर वह पहले ही ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में थे।
मुख्यमंत्री को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और सुनवाई अदालत ने 20 जून को उन्हें धनशोधन के मामले में जमानत दे दी थी। हालांकि, सुनवाई अदालत के फैसले पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।
केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को धनशोधन के मामले में अंतरिम जमानत दी थी।
विवादास्पद आबकारी नीति को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसे बनाने एवं लागू करने में हुई कथित अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद 2022 में रद्द कर दिया गया था।
सीबीआई और ईडी के मुताबिक लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से आबकारी नीति में बदलाव कर अनियमितता की गई।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव