नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज
नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज
नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग बेटी का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए इस बात पर जोर दिया कि अदालतों का कर्तव्य है कि वे उन बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें, जिनके माता-पिता उनके साथ नहीं खड़े हैं।
मामले में याचिकाकर्ता पिता ने आरोप लगाया कि अलग रह रहे दंपति के वैवाहिक विवाद सुलझ जाने के बाद भी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए नाबालिग की मां ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों, विशेष रूप से नाबालिगों, के पास कानून के तहत स्वतंत्र अधिकार हैं, जिन्हें माता-पिता के व्यक्तिगत विवादों के कारण नकारा नहीं जा सकता।
अदालत ने कहा, ‘‘कानूनी व्यवस्था हर बच्चे के अधिकारों को मान्यता देती है, और यहां तक कि ऐसी स्थितियों में भी, जहां उनके अपने माता-पिता उनके साथ खड़े होने या उनका समर्थन करने में विफल रहते हैं। अदालत का कर्तव्य है कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करे।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में पीड़िता की उम्र करीब 13 साल है और उसे न्याय पाने के उसके अधिकार से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद है।
भाषा शफीक पारुल
पारुल

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