अदालत ने फार्महाउस पार्टी के दौरान शराब की 24 बोतल रखने के आरोपी को बरी किया
अदालत ने फार्महाउस पार्टी के दौरान शराब की 24 बोतल रखने के आरोपी को बरी किया
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक फार्महाउस पार्टी के दौरान दिल्ली आबकारी अधिनियम के तहत तय सीमा से अधिक शराब रखने के एक आरोपी को बरी कर दिया है।
अदालत रित्व कपूर के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिस पर दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 की धारा 33 के तहत महरौली के गदईपुर स्थित फार्महाउस में नौ जनवरी को तड़के दो बजे एक पार्टी के दौरान 14 खाली बोतलें, नौ भरी बोतलें और आंशिक रूप से इस्तेमाल की गयी शराब की एक बोतल रखने का आरोप लगाया गया था।
अधिनियम की धारा 33 में निर्धारित मात्रा से अधिक नशीला पदार्थ रखने पर सजा का प्रावधान है। आबकारी अधिनियम के नियम 20 के अनुसार, व्यक्तिगत रूप से भारतीय और विदेशी शराब (व्हिस्की, रम, जिन, वोदका, ब्रांडी) रखने की अधिकतम सीमा नौ लीटर है, जबकि वाइन, बीयर, लीकर, साइडर और एल्कोपॉप के लिए 18 लीटर तथा देसी शराब के लिए यह सीमा तीन लीटर है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कपूर फार्महाउस के मालिक होने के साथ-साथ उस पार्टी के आयोजक भी थे, जहां शराब परोसी जा रही थी, लेकिन उनके पास उक्त आयोजन का परमिट नहीं था।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अश्विनी पंवार ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘…मैं मानता हूं कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है। आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है। तदनुसार, आरोपी को दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 की धारा 33 के तहत दंडनीय अपराध से बरी किया जाता है।”
मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह आपराधिक न्यायशास्त्र का प्रमुख सिद्धांत है कि अगर आरोपी के अपराध के संबंध में उचित संदेह है, तो वह संदेह का लाभ पाने और बरी किये जाने का हकदार है।
भाषा सुरेश रंजन
रंजन

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