उन्नाव: कोरोना काल में ना जाने क्या-क्या देखने को मिलेगा। दरअसल गंगा नदी के तट से लगातार दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही है। इन तस्वीरों को देखकर आप दुखी तो जरूर होंगे, लेकिन व्यवस्था की सच्चाई से भी आप रू-बरू होंगे। आप देखेंगे कि मौत के बाद भी इंसानी शरीर को चैन नहीं, वो अदद अंतिम संस्कार को तरसती हैं, लाशों के साथ क्या हो सकता है?
दरअसल उन्नाव के गंगा घाट में जहां तक आपनी नजर जाएगी, लाशें ही लाशें नजर आएंगी। ये वो लोग हैं, जिनकी कोरोना से मौत हुई थी, जिन्हें गंगा में बहा दिया गया था। नदी में जैसे ही उफान आया, ये लाशें किनारे लग गईं। प्रशासन ने लाशों को छिपाने के लिए उन पर बालू भी डलवा दिया, लेकिन सबकुछ सामने आ गया। इन लाशों में कौन हिंदू कौन मुस्लिम, कौन सिक्ख और कौन ईसाई, जिंदा रहते हुए हम धर्म के नाम पर जाति के नाम पर लड़ते हैं, लेकिन मौत के बाद सब बस एक लाश हैं।
घाट के चारों तरफ मौत की खामोशी है, घाट कब्रगाह में तब्दील हो गई। इन लाशों को अपना निवाला बनाने के लिए कुत्ते घाट पर पहुंचे थे। वाकई में ये सब देखने के लिए कलेजा चाहिए, ना जाने इन लाशों के ढेर में किसका पिता, किसका पति और किसके कलेजे का टुकड़ा होगा। इस घाट पर आकर बड़े-बड़े नेताओं की बोलती बंद हो जाएगी, जो व्यस्थाओं की दुहाई देते नहीं थकते और वाहवाही लूटते हैं। इस मंजर को देखकर मन दुखी हो जाता है, दिल बैठ सा जाता है और ये दुआएं भी निकलती हैं कि हे भगवान, अगर मौत देना तो कम से कम अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी कर देना। ताकि बाद कम से कम ये हाल ना हो।
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