कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को पारिस्थितिकी की महत्ता समझाई: केपी दुबे

कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को पारिस्थितिकी की महत्ता समझाई: केपी दुबे

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  • Publish Date - March 21, 2021 / 11:31 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST

प्रयागराज, 21 मार्च (भाषा) विश्व वानिकी दिवस पर उत्तर प्रदेश के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (परियोजना) केपी दुबे ने रविवार को यहां कहा कि विश्व का कोई कण ऐसा नहीं है जो पारिस्थितिकी तंत्र से अलग है और कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को पारिस्थितिकी की महत्ता समझने को बाध्य किया है।

गंगापार पड़िला में स्थित पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र की पौधशाला में आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए दुबे ने कहा कि संक्रमण के दौरान लोगों को यह भलीभांति पता चल गया कि पेड़ पौधे, जीव जंतु उनके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। गिलोय जैसी औषधियों की इस दौरान अहम भूमिका रही।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डाक्टर संजय सिंह ने कहा कि भारत में कुछ खास प्रजाति के पेड़ पौधों पर ध्यान देने के लिए सभी वानिकी एवं अनुसंधान केंद्र आपस में मिलकर समन्वय में कार्य करते हैं।

उन्होंने बताया कि वन अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक डॉक्टर कुमुद दुबे महुआ पर एक परियोजना पर काम कर रही हैं। जिन-जिन राज्यों में महुआ के पेड़ पाये जाते हैं, वहां उन्नत किस्म के महुआ के वृक्षों का चयन किया जा रहा है और उनके विकास पर काम किया जा रहा है।

सिंह ने बताया कि वानिकी की सबसे बड़ी असफलता का कारण यह है कि जो पेड़ आमतौर पर दिखाई देते हैं उन्हें लगाया नहीं जाता। यही वजह से है कि नीम, महुआ जैसे पेड़ों का वर्गीकरण करने, नर्सरी लगाने की जरूरत नहीं समझी गई।

उन्होंने बताया कि उनका केंद्र एक अन्य अखिल भारतीय समन्वित परियोजना- मीलिया डूबिया पर काम कर रहा है। यह पेड़ मीठी नीम और बकैन कुल का है और यह उतने ही कम समय में किसानों को लाभ देता है जितने कम समय में यूकेलिप्टस लाभ देता है। मीलिया डूबिया पेड़ की लकड़ी का उपयोग प्लाईवुड आदि बनाने में किया जाता है।

भाषा राजेंद्र

शोभना

शोभना