नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा)विश्व नेता और जलवायु वार्ताकार सोमवार से शुरू हो रहे सीओपी 29 में शिरकत करने के लिए बाकू में एकत्र हो रहे हैं जहां पर भारत जलवायु वित्त, जवाबदेही और कमजोर समुदायों के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के मुद्दों को केंद्र में रखकर अपनी आवाज उठाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव भी अनुपस्थित रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी जगह केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह 19 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
सम्मेलन में भारत को अपना राष्ट्रीय पक्ष प्रस्तुत करने के लिए 18-19 नवंबर का समय दिया गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक सम्मेलन में भारत की प्रमुख प्राथमिकताएं जलवायु वित्त पर विकसित देशों की जवाबदेही सुनिश्चित करने, कमजोर समुदायों के लिए सतता सुनिश्चित करने तथा समतापूर्ण ऊर्जा स्रोत परिवर्तन के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित होंगी।
ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरुणाभ घोष ने जोर दिया कि सीओपी29 को वादों से आगे बढ़कर विकसित देशों को शुद्ध शून्य उत्सर्जन की ओर तेजी से बढ़ने तथा अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
घोष ने कहा, ‘‘जलवायु सीओपी महत्वाकांक्षा बढ़ाने, कार्रवाई को सक्षम बनाने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से सभी को जवाबदेह बनाने के बारे में है। सीओपी28 के परिणामस्वरूप कई वादे हुए, लेकिन इसने विकसित देशों को छूट दे दी। सीओपी 29 जवाबदेही के बारे में होना चाहिए।’’
केन्या के जलवायु परिवर्तन दूत अली मोहम्मद ने एक ‘वित्त सीओपी’की आवश्यकता पर बल दिया, जो जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए पहले से ही संघर्ष कर रहे देशों के लिए ऋण बोझ को बढ़ाए बिना वित्तपोषण को प्राथमिकता देता है।
भाषा धीरज नरेश
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