नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली के सैकड़ों संविदा सफाई कर्मचारी अपने नियमितीकरण की राह देख रहे हैं। लंबे समय से वे खुद के नियमित करने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग अब देश की संसद तक पहुंच गई है। अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी समिति ने अपने रिपोर्ट संसद में पेश करते हुए कहा है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के उन सफाई कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए, जिन्होंने 10 साल की सेवा पूरी कर ली है। अगर इस पर संज्ञान लिया जाता है तो संविदा आधार पर नौकरी कर रहे सफाई कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ मिल सकता है।
समिति ने कहा है कि एमसीडी में 10 साल या उससे अधिक समय की नियमित सेवा देने के बावजूद कई सफाई कर्मचारियों को सेवा में ‘ब्रेक’ के कारण नियमितीकरण के लाभ से वंचित किया जा रहा है। संसदीय समिति ने कहा कि एमसीडी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ में शिकायत संबंधी रजिस्टर को दुरुस्त रखना चाहिए। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महसूस किया जाता है कि कई बार ऐसी शिकायतों के उचित रिकॉर्ड के बिना एससी/एसटी प्रकोष्ठ के अधिकारियों द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने की आशंका होती है। रिपोर्ट के अनुसार समिति का यह सुविचारित मत है कि शिकायत रजिस्टर को दुरुस्त रखने से एससी/एसटी कर्मचारियों के मुद्दों का समयबद्ध तरीके से निपटारे का मार्ग प्रशस्त होगा।
समिति ने कहा कि उसने इस तथ्य का संज्ञान लिया है कि एमसीडी में 10 या उससे अधिक वर्षों की नियमित सेवाएं देने के बावजूद कई सफाई कर्मचारियों को सेवा में ‘ब्रेक’ के कारण नियमितीकरण के लाभ से वंचित किया जा रहा है। इसलिए समिति दृढ़ता से दोहराती है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी दैनिक वेतनभोगी/आउटसोर्स सफाई कर्मचारी जिन्होंने सेवा में ‘ब्रेक’ के साथ या बिना ‘ब्रेक’ के 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए। समिति ने पाया कि 205 सामान्य ड्यूटी चिकित्सा अधिकारी समूह “ए” के पद भरे गए हैं, जिनमें 20 एससी और आठ एसटी पद शामिल हैं। समिति ने कहा कि उसे उम्मीद है कि एमसीडी समयबद्ध तरीके से शेष रिक्त पदों को भरने में भी इसी तरह की तत्परता दिखाएगी।
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