शिमला: contract employees regularization 2024 notification संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा अब देशभर में गरमाने लगा है। देश के अलग-अलग राज्यों में लगातार संविदा और अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। कई राज्यों के संविदा अनियमित कर्मचारी सरकार से नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन इस बीच हाईकोर्ट ने संविदा/अस्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए अहम आदेश जारी किया है। संविदा कर्मचारियों के लिए रक्षाबंधन से पहले हाईकोर्ट का ये फैसला किसी सौगात से कम नहीं है।
contract employees regularization 2024 notification दरअसल मामले में सुनवाई हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने की। उन्होंने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता नियमितीकरण के मानदंडों को पूरा करता है, तो उसे भी नियमितीकरण प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी को सिर्फ पदनाम के आधार पर नियमितीकरण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो या बिल आधारित कर्मचारी, वह विभाग को एक जैसी सेवा दे रहे हैं। इसलिए, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल बेस कर्मचारी के बीच विभाग द्वारा जो वर्गीकरण किया गया है, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता। राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नीति के अनुसार नियमितीकरण के अधिकार से प्रार्थी को केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता है।
प्रार्थी और प्रार्थी की तरह कार्य करने वाले कर्मियों के मामले में विभाग की ओर से हालांकि दो बार नियमितीकरण करने बाबत स्क्रीनिंग की गई। हर वर्ष 240 दिनों से अधिक कार्य करने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया गया। अंततः प्रार्थी को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करनी पड़ी, जिस पर यह अहम निर्णय आया है। हाईकोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिए कि वह प्रार्थी को राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नियमितीकरण नीति के अनुसार छह सप्ताह की अवधि के भीतर वर्क चार्ज/नियमितीकरण प्रदान करें। हालांकि, प्रार्थी को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ याचिका दायर करने की तारीख से तीन साल तक सीमित रहेंगे।