चंडीगढ़ः Contract Employee Regularization News पंजाब के परिवहन निगम में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की मांगों को सरकार ने पूरा करने का आश्वासन दिया है। राज्य सरकार ने उनकी मांगों पर चर्चा के लिए 15 जनवरी को बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही पंजाब रोडवेज और पेप्सू सड़क परिवहन निगम (पीआरटीसी) के संविदा कर्मचारियों ने मंगलवार को राज्य सरकार से मिले आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली। प्रदर्शनकारियों ने अपनी नौकरियों को नियमित करने सहित अन्य मांगों को लेकर सोमवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की थी।
Contract Employee Regularization News पंजाब रोडवेज, पनबस, पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रेशम सिंह गिल ने कहा कि उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय में 15 जनवरी को उनके मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक का आश्वासन मिला है और इसपर हड़ताल वापस ले ली गई है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी की लगभग 2,800 बसें सड़कों से नदारद रहीं। हड़ताल में लगभग आठ हजार संविदा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
पीआरटीसी, पनबस और पंजाब रोडवेज बसों के कर्मचारियों की उन्हें पक्का करने की मांग को लेकर हड़ताल थी। इसे लेकर पनबस और पीआरटीसी ठेका कर्मचारी यूनियन ने पिछले महीने सभी मंत्रियों को मांग पत्र भी सौंपे थे। इसके बावजूद उनकी मांग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके उलट पड़ोसी राज्य हरियाणा और हिमाचल वहां की सरकारें कर्मचारियों को 2 साल बाद परमानेंट कर रही हैं। मगर पंजाब सरकार उमा देवी फैसले का बहाना बनाकर पंजाब के कर्मचारियों का शोषण कर रही है।
पंजाब सरकार ने संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग पर 15 जनवरी को बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया है। बैठक में उनकी मांगों पर चर्चा की जाएगी।
पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी के संविदा कर्मचारियों ने अपनी नौकरियों को नियमित करने और अन्य मांगों के लिए हड़ताल शुरू की थी। हड़ताल में लगभग आठ हजार कर्मचारी शामिल थे।
राज्य सरकार से 15 जनवरी को बैठक का आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली।
पंजाब सरकार ने अभी तक संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा और हिमाचल में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
हां, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारें संविदा कर्मचारियों को दो साल बाद नियमित कर रही हैं, जबकि पंजाब में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।