शिवसागर (असम), 14 फरवरी (भाषा) भाजपा और आरएसएस पर असम को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी असम समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेगी और अगर राज्य में सत्ता में आती है तो कभी भी संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं करेगी।
विधानसभा चुनाव से पहले गांधी ने असम में अपनी पहली रैली में कहा कि राज्य को ‘‘अपने मुख्यमंत्री’’ की जरूरत है जो लोगों की आवाज सुने, न कि एक ऐसा मुख्यमंत्री जो नागपुर और दिल्ली की आवाज सुने।
उन्होंने कहा, ‘‘असम समझौते से शांति आई है और यह राज्य का रक्षक है। मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेंगे। इससे बिल्कुल नहीं भटकेंगे।’’
गांधी ने कहा कि असम में अवैध आव्रजन एक मुद्दा है और विश्वास जताया कि राज्य के लोगों में वार्ता के माध्यम से मुद्दे के समाधान की क्षमता है।
असम समझौते के मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस पर राज्य को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर असम बंटता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि असम के लोग और शेष भारत प्रभावित होंगे।’’
विवादास्पद सीएए के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर उनकी पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो किसी भी स्थिति में यह कानून लागू नहीं किया जाएगा।
गांधी सहित पार्टी के सभी नेता ‘गमछा’ पहने हुए थे, जिसपर सांकेतिक रूप से ‘सीएए’ शब्द को काटते हुए दिखाया गया, जो विवादास्पद कानून के खिलाफ एक संदेश था।
गांधी ने कहा कि असम को उनके ‘अपने लोगों’ में से एक मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो उनके मुद्दों को सुने और उन्हें हल करने की कोशिश करे।
उन्होंने कहा, ‘‘रिमोट कंट्रोल एक टीवी चला सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री को नहीं। वर्तमान मुख्यमंत्री नागपुर और दिल्ली की बात सुनते हैं। अगर असम को फिर से इस तरह का मुख्यमंत्री मिलता है, तो इससे लोगों को कोई फायदा नहीं होगा। युवाओं को एक ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो उन्हें नौकरी दे।’’
प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और ‘‘उनके करीबी उद्योगपतियों’’ पर कटाक्ष करते हुए गांधी ने कहा, ‘‘मैंने असम के लिए एक नया नारा तैयार किया है – हम दो, हमारे दो; असम के लिये हमारे और दो, और सबकुछ लूट लो। ”
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में प्राकृतिक संसाधनों और पीएसयू को देश के दो बड़े उद्योगपतियों के हाथों ‘‘बेचा’’ जा रहा है।
गांधी ने मोदी सरकार पर कोविड-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक धन की ‘‘लूट’’ करने और ‘‘दो बड़े व्यवसायी दोस्तों’’ के ऋण माफ करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के नेतृत्व में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने असम में हिंसा समाप्त कर शांति लाई थी।
असम समझौते में अवैध आव्रजकों की पहचान करके उन्हें वापस भेजने का प्रावधान है, जो 1971 के बाद राज्य में आये, भले ही उनका धर्म कोई भी हो।
सीएए के तहत धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसंबर, 2014 के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को अवैध आव्रजक नहीं समझा जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
राज्य में सीएए विरोधियों का कहना है कि यह कानून असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
भाषा राजकुमार दिलीप
दिलीप