नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक समीक्षा में कारोबारी सुगमता के दूसरे चरण पर जोर दिया गया है, लेकिन नए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लाने तथा ‘कर आतंक’ को खत्म करने को लेकर चुप्पी है।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘वित्त मंत्रालय का आर्थिक सर्वेक्षण अक्सर वांछित नीतियों की एक इच्छा सूची और अवांछनीय नीतियों के बारे में एक चेतावनी होता है। नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण भी कुछ अलग नहीं है और इसमें सरकार के विचार करने के लिए बहुत कुछ है।’’
उनके मुताबिक, सबसे पहले, यह बताता है कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए एक जीवन रेखा रही है, और आज स्थायी आजीविका विविधीकरण के लिए एक ‘‘टिकाऊ ग्रामीण पूंजी निर्माण कार्यक्रम’’ के रूप में विकसित हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक समीक्षा में यह बताया गया है कि भारतीय वित्तीय बाजारों में डीमैट खातों वाले 11.5 करोड़ अद्वितीय निवेशक हैं। इसमें कहा गया है कि ‘उच्च निवेशक भागीदारी ने मजबूत बाजार रिटर्न के एक चक्र को जन्म दिया है, जिससे और भी अधिक निवेशक आए हैं।’ फिर सरकार सेबी जैसी संस्था के भ्रष्टाचार और उसे कमजोर होने की उपेक्षा क्यों कर रही है?’’
रमेश का कहना था कि पीएलआई जैसी योजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद, चीन से आयात लगातार जारी है तथा 2023-24 का 102 अरब डॉलर का रिकॉर्ड 2024-25 में टूटने की संभावना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आर्थिक सर्वेक्षण व्यवसाय की सुगमता के दूसरे चरण का आह्वान करता है। लेकिन यह पूरी तरह से नया जीएसटी लाने और पिछले दशक में फैलाए गए ‘‘कर आतंक’’ के अंत पर चुप्पी है’’।
भाषा हक
हक धीरज
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