जयपुर, 20 मार्च (भाषा) राजस्थान में विपक्षी दल कांग्रेस ने कोचिंग सेंटर के विनियमन के लिए विधानसभा में पेश विधेयक में दाखिले की न्यूनतम आयु की अनिवार्यता को हटाने और कई अनुपालन उपायों को सरल करने के लिए राजस्थान सरकार की आलोचना की है।
उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम चंद बैरवा द्वारा बुधवार को पेश किया गया राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक कोटा में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्याओं के मामलों को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कोटा को देश भर के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटरों का केंद्र माना जाता है।
विधेयक पर विधानसभा में शुक्रवार को चर्चा होगी। इस विधेयक में जनवरी 2024 में जारी केंद्र के सख्त दिशानिर्देशों के प्रमुख प्रावधानों में ढील दी गई है। विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर कोचिंग क्लास लेने के लिए न्यूनतम आयु मानदंड को हटाकर बच्चों पर मानसिक बोझ डालने का आरोप लगाया है।
विधेयक में छात्रों के ‘एप्टीट्यूड टेस्ट’ को स्वैच्छिक बनाया गया है, जबकि पहले के मसौदों में इसे अनिवार्य करने का प्रस्ताव था।
विधेयक में नियमों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटर के लिए जुर्माना काफी बढ़ा दिया गया है। किसी संस्थान द्वारा नियमों का पहली बार उल्लंघन करने पर अब दो लाख रुपये का जुर्माना लगेगा, जो 2024 के मसौदे में 25,000 रुपये था। दोबारा उल्लंघन करने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा, जो पहले 1 लाख रुपये था। वहीं विधेयक के अनुसार भ्रामक विज्ञापनों पर भी रोक लगाई जाएगी।
कोचिंग संस्थानों ने केंद्र सरकार के 2024 के दिशा-निर्देशों का कड़ा विरोध किया था और उन्होंने पिछले साल नामांकन में 30-40 प्रतिशत की गिरावट और कोचिंग संस्थानों की कमाई में भारी गिरावट के लिए इसे जिम्मेदार बताया था।
हालांकि, एक प्रमुख कोचिंग संस्थान ने इस पहल का स्वागत किया है।
एलन करियर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. नवीन माहेश्वरी ने कहा, ‘हम छात्रों के लिए अनुकूल शैक्षणिक माहौल बनाने में योगदान करने वाली पहलों का स्वागत करते हैं। राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक उसी दिशा में एक कदम है, जो कोचिंग संस्थानों के ढांचे में पारदर्शिता, निष्पक्ष व्यवहारों को मजबूत करता है।’
नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक अन्य कोचिंग संस्थान संचालक ने कहा कि अकेले कोटा में पिछले साल छात्रों की संख्या में गिरावट देखी गई जिससे संस्थानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इसका असर कोचिंग सेंटर से भी आगे हॉस्टल, परिवहन व्यवसाय और यहां तक कि जमीन जायदाद तक पर पड़ा।
विधेयक का बचाव करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री बैरवा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि इसका उद्देश्य कोचिंग सेंटर को नियंत्रित और विनियमित करना है। विधेयक में कोचिंग सेंटर के नियमन के लिए जिला व राज्य स्तर पर कमेटी बनाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कोचिंग सेंटर का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि अनियमितताओं के मामले में विधेयक में दंड का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि हालांकि विधेयक में सख्त प्रावधान किए गए हैं लेकिन सरकार सुझावों को शामिल करने और कमियों को दूर करने का प्रयास करेगी।
कोचिंग सेंटर में दाखिले के लिए आयु सीमा हटाने की आलोचना करते हुए विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा, ‘हमारी (गत कांग्रेस) सरकार ने बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने का प्रयास किया था। इसके लिए कमेटी गठित की थी जिसने कोटा का दौरा किया। अब यह सरकार फिर से विधेयक लेकर आई है। हमारे मसौदे में 16 वर्ष तक के बच्चों को कोचिंग लेने से रोकने का प्रावधान था। लेकिन अब सरकार फिर से इसमें छूट देने की तैयारी कर रही है और उन बच्चों पर तनाव का भारी बोझ डाल रही है जो वयस्क भी नहीं हुए हैं।’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली कक्षा में प्रवेश के लिए पांच से छह वर्ष की आयु की सिफारिश की है लेकिन ‘डबल इंजन वाली राजस्थान सरकार’ 16 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए कोचिंग शुरू करने की बात कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘शायद सरकार मजबूत विधेयक नहीं लाना चाहती। हम चाहेंगे कि हमारे बिंदु और सुझाव इसमें जोड़े जाएं।’’
विधेयक के अनुसार कोचिंग संस्थानों की निगरानी, निरीक्षण करने और समन जारी करने के लिए दीवानी अदालत जैसी शक्तियों के साथ 12 सदस्यीय राज्य प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।
कोचिंग केंद्रों में उच्च दबाव वाले माहौल को देखते हुए संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक और करियर सलाहकार नियुक्त करने होंगे। विधेयक में 10 दिन के भीतर कोचिंग केंद्रों, छात्रावास और कैटरर्स से बीच में पढ़ाई छोड़ने पर छात्र को ‘रिफंड’ का प्रस्ताव है।
राज्य सरकार ने केंद्र के दिशा-निर्देशों से कई प्रावधानों को विधेयक में हटा दिया है। जानकारों के अनुसार इसमें दिव्यांगों के लिए ब्रेल अध्ययन सामग्री, ई-रीडर और सुलभ शौचालय जैसे अनुकूल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता प्रतिपादित नहीं है।
भाषा पृथ्वी कुंज अमित
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