मांग बढ़ाने के लिए कर में कटौती और गरीबों को आर्थिक सहयोग की जरूरत: कांग्रेस

मांग बढ़ाने के लिए कर में कटौती और गरीबों को आर्थिक सहयोग की जरूरत: कांग्रेस

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  • Publish Date - December 12, 2024 / 12:33 PM IST,
    Updated On - December 12, 2024 / 12:33 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन के एक बयान को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में विफल रही हैं।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मांग को प्रोत्साहित करने के लिए वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लिए कर में कटौती और ग़रीबों को आय संबंधी सहयोग देने की आवश्यकता है।

उन्होंने एक खबर का उल्लेख किया जिसके अनुसार नागेश्वरन ने कहा कि निजी क्षेत्र में मुनाफा 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर है, लेकिन वेतन स्थिर है।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘निजी क्षेत्र का मुनाफा 15 साल के उच्चतम स्तर पर है। पिछले चार वर्षों में यह चार गुना बढ़ गया है। लेकिन वेतन/मजदूरी स्थिर है, हर क्षेत्र में सालाना 0.8 प्रतिशत से 5.4 प्रतिशत के बीच की दर से वृद्धि हो रही है।’’

उन्होंने कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने समझदारी भरा सुझाव दिया है कि भारतीय उद्योग जगत को अपने अंदर झांकने की ज़रूरत है और मुनाफे के रूप में पूंजी में जाने वाली आमदनी का हिस्सा और श्रमिकों को वेतन के रूप में जाने वाले हिस्से के बीच बेहतर संतुलन होना चाहिए।

रमेश का कहना था कि यदि सरकार ने 2019 में कॉरपोरेट कर में भारी कटौती नहीं की होती तो नीति के माध्यम से ही कुछ संतुलन हासिल किया जा सकता था।

उन्होंने कहा, ‘‘एकदम साफ़ नजर आ रहा है कि कॉरपोरेट कर में कटौती, पीएलआई के माध्यम से कॉरपोरेट को उदार रूप से सहायता देने और वेतनभोगी मध्यम वर्ग पर कर का बोझ बढ़ाने की सरकार की रणनीति ने निवेश या नियुक्ति में कोई उल्लेखनीय वृद्धि किए बिना केवल बड़े एकाधिकारवादियों को समृद्ध करने में मदद की है।’’

रमेश ने दावा किया कि ये नीतियां अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में विफल रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें मांग को प्रोत्साहित करने के लिए वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लिए कर में कटौती और ग़रीबों को आय संबंधी सहयोग देने की आवश्यकता है।’’

नागेश्वरन ने बुधवार को यह भी कहा था कि वित्तीय तथा गैर-वित्तीय क्षेत्रों के विनियमन में अंतर करने की जरूरत है, क्योंकि वित्तीय क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा से अत्यधिक जोखिम उठाने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है और अस्थिरता आ सकती है।

भाषा हक

हक नरेश

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