कांग्रेस, एजेपी ने असम सरकार पर ‘विरासत संरक्षण में विफल’ होने का आरोप लगाया

कांग्रेस, एजेपी ने असम सरकार पर ‘विरासत संरक्षण में विफल’ होने का आरोप लगाया

कांग्रेस, एजेपी ने असम सरकार पर ‘विरासत संरक्षण में विफल’ होने का आरोप लगाया
Modified Date: April 1, 2025 / 08:04 pm IST
Published Date: April 1, 2025 8:04 pm IST

गुवाहाटी, एक अप्रैल (भाषा) असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित राज्य की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक ‘महाफेजखाना’ (रिकॉर्ड रूम) को गिराए जाने पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर राज्य की विरासत को “संरक्षित रखने में विफल” रहने का आरोप लगाया।

विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक देबब्रत सैकिया ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की। वहीं, असम जातीय परिषद (एजेपी) ने सवाल उठाया कि क्या ‘रिकॉर्ड रूम’ को गिराने से पहले जनता की राय ली गई थी?

माना जा रहा है कि वर्ष 1855 के बाद निर्मित ‘महाफेजखाना’ को गुवाहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) द्वारा ‘ब्रह्मपुत्र रिवरफ्रंट सौंदर्यीकरण परियोजना’ के तहत तोड़ा गया।

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इस ध्वस्तीकरण के बाद शहरवासियों में आक्रोश फैल गया और कई नागरिकों ने सरकार की आलोचना की।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने हालांकि सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह “गुलामी का प्रतीक” था और कोई “पुरातत्वीय स्थल” नहीं था।

‘महाफेजखाना’ का उल्लेख वर्ष 2014 में जीएमडीए द्वारा प्रकाशित कॉफी टेबल बुक ‘फॉरएवर गुवाहाटी’ में किया गया है।

सैकिया ने राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को लिखे पत्र में विरासत इमारतों को तोड़ने पर रोक लगाने और असम विरासत संरक्षण, परिरक्षण एवं रखरखाव अधिनियम, 2020 को लागू करने की मांग की।

उन्होंने दावा किया कि महाफेजखाना का विध्वंस “प्रत्यक्ष रूप से” इस अधिनियम का उल्लंघन है। इस अधिनियम को भाजपा सरकार द्वारा लागू किया गया था।

कांग्रेस नेता ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह संबंधित अधिकारियों को असम विरासत अधिनियम, 2020 का उल्लंघन करने वाली किसी भी और कार्रवाई को रोकने तथा विध्वंस के कारणों की विस्तृत जांच कराने का निर्देश दें।

सैकिया ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आप असम की विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।”

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पानबाजार क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से सभी विरासत संरचनाओं की सुरक्षा की मांग की।

कांग्रेस प्रवक्ता बेदब्रत बोरा ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए सवाल किया, ‘हम जानना चाहते हैं कि हमारे विरासत स्थलों और इमारतों की रक्षा क्यों नहीं की जा रही? अधिकारियों ने महाफेजखाना को गिराने की अनुमति किससे ली?’

उन्होंने कहा, “लोग इतिहास और विरासत को मिटाने के इस प्रयास का कड़ा विरोध कर रहे हैं।”

एजेपी पार्टी के महासचिव जगदीश भुइयां ने इस ऐतिहासिक संरचना को गिराने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह असम में बने शुरुआती ठोस भवनों में से एक था।

उन्होंने कहा कि महाफेजखाना ऐतिहासिक, स्थापत्य और इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह संरचना वर्ष 1897 और 1950 में दो बड़े भूकंप के झटकों के बाद भी अडिग थी।

भुइयां ने सुझाव दिया कि इस संरचना को सौंदर्यीकरण परियोजना में शामिल कर इसे ऐतिहासिक अवशेषों और अभिलेखों को संग्रहीत करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि सरकार को इसे गिराने से पहले जनता की राय लेनी चाहिए थी।

भाषा राखी प्रशांत

प्रशांत


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