हाथियों के उत्पात में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मिलेगा ज्यादा मुआवजा.. बढ़ाई जाएगी राशि

झारखंड में हाथियों के उत्पात में मृत लोगों के परिजनों को मुआवजा बढ़ाया जायेगा

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  • Publish Date - March 16, 2022 / 01:39 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

रांची, 15 मार्च (भाषा) झारखंड में जंगली हाथियों के हमले में हताहत लोगों के परिजनों को इस वर्ष अब तक लगभग एक करोड़, 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है और शीघ्र राज्य सरकार हाथियों के हमले में मारे गये लोगों के परिजनों को चार लाख से बढ़ा कर साढ़े छह लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की योजना बना रही है। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को सिमडेगा से कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी द्वारा प्रश्न काल में इस सिलसिले में पूछे गये सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री चंपई सोरेन ने यह जानकारी दी।

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इससे पूर्व कोंगाड़ी ने सदन में अपने पूरक प्रश्न में कहा कि अक्सर जंगली हाथियों का झुंड सिमडेगा जिले के बोलबा और ठेठईटांगर प्रखंड में आ धमकता है और इस दौरान हाथी न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि इंसानी जान को भी भारी क्षति होती है लेकिन नुकसान की तुलना में पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाता। उन्होंने सरकार से मांग की कि हाथियों के हमले में विभिन्न प्रकार के नुकसान के लिए दी जाने वाली मुआवजा राशि तत्काल बढ़ायी जानी चाहिए।

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जवाब में प्रभारी मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि इस वित्त वर्ष में अभी तक हाथियों द्वारा की गयी जानमाल की क्षति के मामलों में लगभग एक करोड़, 19 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि ऐसे मामलों में मुआवजा वृद्धि का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जंगली हाथियों की वजह से जान गंवाने वाले पीड़ित परिवारों को चार लाख की जगह 6 लाख 50 हजार रुपए तक का मुआवजा दिये जाने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

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इसी प्रकार सरकार फसल और घरों के नुकसान की भी मुआवजा राशि जल्द ही बढ़ायेगी। सोरेन ने बताया कि सिर्फ सिमडेगा वन प्रमंडल के तहत पिछले 3 वर्षों में 5,06,000 पौधे लगाए गए हैं और छोटे-छोटे 28 चेक डैम का निर्माण हुआ है जिससे जंगल में इतना भोजन उपलब्ध हो कि भोजन और पानी के लिए हाथियों को मानवीय बस्तियों में आने की जरूरत ना पड़े।

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प्रभारी मंत्री ने बताया कि हाथी और इंसान के बीच द्वंद बढ़ने के कई कारण हैं। जनसंख्या बढ़ने के कारण वन्यजीव का प्रवास क्षेत्र प्रभावित हुआ है। उनका कहना था कि इतना ही नहीं गांवों में मादक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं जिसकी महक हाथियों को आकर्षित करती है जिनके चलते हाथियों की आदतों और भ्रमण के मार्ग में बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को टॉर्च और पटाखे मुहैया कराए जाते हैं तथा उन्हें हाथियों को ग्रामीण इलाकों से खदेड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।

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मामले में हस्तक्षेप करते हुए कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि उनके जामताड़ा जिले में भी एक पागल हाथी है जिसने अब तक कई लोगों की जान ले ली है और इस समस्या का भी समाधान होना चाहिए। प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह गंभीर मसला है और संबंधित हाथी को रोकने का निर्देश विभाग को दे दिया गया है जिस पर शीघ्र कार्रवाई होगी।