महिला की शारीरिक संरचना पर टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न के समान, यहां की अदालत ने सुनाया ये फैसला

महिला की शारीरिक संरचना पर टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न के समान, यहां की अदालत ने सुनाया ये फैसला!Kerala High Court on Sexual Harassment

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  • Publish Date - January 8, 2025 / 04:57 PM IST,
    Updated On - January 8, 2025 / 04:57 PM IST

कोच्चि। Kerala High Court on Sexual Harassment केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी महिला की ‘‘शारीरिक संरचना’’ पर टिप्पणी यौन दृष्टि से प्रेरित टिप्पणी है, जो यौन उत्पीड़न के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगी। न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन ने इस संबंध में केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिका में आरोपी ने उसी संगठन की एक महिला कर्मचारी द्वारा उसके खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

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महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी 2013 से उसके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहा था और फिर 2016-17 में उसने आपत्तिजनक संदेश और वॉयस कॉल भेजना शुरू कर दिया। उसने दावा किया था कि केएसईबी और पुलिस में शिकायत के बावजूद वह उसे आपत्तिजनक संदेश भेजता रहा।

उसकी शिकायतों के बाद, आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) और 509 (महिला की गरिमा को अपमानित करने) और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (ओ) (अवांछित कॉल, पत्र, लिखित, संदेश भेजने के लिए संचार के किसी भी माध्यम का इस्तेमाल कर परेशान करना) के तहत मामला दर्ज किया गया। मामले को रद्द करने का अनुरोध करते हुए अभियुक्त ने दावा किया कि किसी को उसकी सुंदर शारीरिक काया के लिए टिप्पणी करना, आईपीसी की धारा 354 ए और 509 तथा केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (ओ) के तहत यौन रंजित टिप्पणी की श्रेणी में नहीं माना जा सकता।

वहीं, अभियोजन पक्ष और महिला ने दलील दी कि आरोपी के फोन कॉल और संदेशों में अभद्र टिप्पणियां थीं, जिनका उद्देश्य पीड़ित को परेशान करना और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाना था। अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमति जताते हुए केरल उच्च न्यायालय ने छह जनवरी के अपने आदेश में कहा कि प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए और 509 तथा केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (ओ) के तहत अपराध के लिए उपयुक्त तत्व ‘‘दिखाई देते हैं’’।

 

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