रायपुर । सीएम भूपेश बघेल ने परिवारवाद को लेकर आज एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उदयपुर में होने वाले कांग्रेस के चिंतन शिविर में एक पार्टी-एक टिकट पर विचार होगा । इस बयान के क्या मायने हैं, और अगर ऐसा होता है, तो इसका क्या असर होगा, देखिए ये रिपोर्ट परिवार सबको प्यारा होता है । होना भी चाहिए,लेकिन अगर नेता राजनीति के मैदान में अपने परिवार का हित देखने लगे,तो इसे परिवारवाद कहते हैं ।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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देश की राजनीति में परिवादवाद का रोग कोई नया नहीं है । तकरीबन हर दल में किसी ना किसी रुप में परिवादवाद देखा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस को परिवारवाद का पर्याय मान लिया गया है, कांग्रेस को परिवारवाद का प्रतीक बनाने में बीजेपी का सबसे बड़ा योगदान है, और अब शायद कांग्रेस परिवारवाद के इस दाग को धोना चाहती है, आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं।
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सीएम बघेल ने कहा उदयपुर में होने वाले कांग्रेस के चिंतन शिविर में एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले पर विचार होगा, ये महज एक बयान नहीं है, बल्कि कांग्रेस की बदलती कार्यशैली का प्रतीक है, जो कहीं ना कहीं बीजेपी से प्रेरित लगती है । दो दिन पहले ही बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बयान दिया था कि पार्टी में परिवारवाद नहीं चलेगा । बीजेपी का परिवारवाद के खिलाफ ये रुख हमेशा से रहा है, पीएम मोदी परिवारवाद के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं । कैलाश विजय वर्गीय के इस बयान से बीजेपी में खलबली मच गई है । पर फिर भी बीजेपी परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर हावी दिखती है । बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस की स्थिति पूरी तरह अलग है ।
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परिवारवाद के खिलाफ कांग्रेस कभी खुलकर बोलती नजर नहीं आई है, क्योंकि कांग्रेस के मूल में ही गांधी परिवार है, जवाहर लाल नेहरुस, इंदिरा गांधी, संजय गांधी राजीव गांधी, सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक । कांग्रेस में परिवारवाद हावी रहा है, ऐसे में सवाल है कि क्या चिंतन शिविर में कांग्रेस वाकई परिवारवाद के खिलाफ एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले पर गंभीर मनन कर पाएगी, क्या कोई ठोस फैसला ले पाएगी । क्या कांग्रेस इस बात के लिए तैयार है कि गांधी परिवार से इतर कोई दूसरे नेता को कमान मिले ?