विकासशील देशों की जरूरतों को वास्तव में पूरा करने वाला जलवायु वित्त लक्ष्य हो: संरा जलवायु प्रमुख

विकासशील देशों की जरूरतों को वास्तव में पूरा करने वाला जलवायु वित्त लक्ष्य हो: संरा जलवायु प्रमुख

विकासशील देशों की जरूरतों को वास्तव में पूरा करने वाला जलवायु वित्त लक्ष्य हो: संरा जलवायु प्रमुख
Modified Date: October 17, 2024 / 06:17 pm IST
Published Date: October 17, 2024 6:17 pm IST

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले महीने बाकू में होने वाले जलवायु सम्मेलन में सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त के लिए एक नये लक्ष्य पर सहमति बनानी चाहिए, जो सही मायने में विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करे तथा जिसका मूल आधार सार्वजनिक वित्त हो।

स्टील ने कहा कि सीओपी (संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन)29 को ‘‘मुस्तैदी से काम करने वाला’’ सीओपी होना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से वैश्विक अर्थव्यवस्था और अरबों लोगों के जीवन एवं आजीविका को बचाने के लिए जलवायु वित्त महत्वपूर्ण है।

ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, स्टील ने कहा, ‘‘(अजरबैजान की राजधानी) बाकू में सीओपी29 में, सभी सरकारों को अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त के लिए एक नये लक्ष्य पर सहमत होना चाहिए जो वास्तव में विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करता हो… यह अनुमान लगाना मेरा काम नहीं है कि नया लक्ष्य कैसा होगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि सार्वजनिक वित्त को केंद्र में रखना चाहिए।’’

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उन्होंने कहा कि इस वित्त का जितना संभव हो सके उतना हिस्सा अनुदान या रियायती निधि के रूप में होना चाहिए और इसे उन लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाया जाना चाहिए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘और हमें अधिक निजी वित्त का लाभ उठाना चाहिए तथा वित्तीय बाजारों को यह संकेत देना चाहिए कि हरित क्षेत्र ही लाभप्रद है।’’

इस वर्ष के सीओपी29 में, देशों से नये सामूहिक लक्ष्य पर सहमत होने की अपेक्षा की जा रही है जो वह नयी राशि है जिसे विकसित देशों को विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए 2025 से हर वर्ष जुटाना होगा।

वर्ष 1992 में अपनाये गए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत, उच्च आय वाले औद्योगिक देश विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और अनुकूलन में मदद करने के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं।

अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन तथा जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय संघ के सदस्य देशों सहित इन विकसित देशों को ऐतिहासिक रूप से औद्योगीकरण से लाभ हुआ है और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में उनकी बड़ी भूमिका रही है।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


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