नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) स्वच्छ वातावरण नागरिकों का मूल अधिकार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए धन नहीं होने का बहाना नहीं बनाया जा सकता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कोटद्वार में खोह नदी के किनारे अवैध रूप से बनाए गए कचरा स्थल को लेकर उत्तराखंड सरकार की आलोचना करते हुए यह टिप्पणी की।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार की लगातार विफलता को देखते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि वैधानिक नियमों के उल्लंघन के लिए राज्य के शहरी विकास सचिव सहित इसके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का मामला बनता है। साथ ही, पर्यावरण की लगातार क्षति के लिए मुआवजे के भुगतान की भी जरूरत है, जिसे पालन नहीं करने वाले अधिकारियों से वसूला जाए।
अधिकरण ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के तहत तय समय सीमा के संबंध में पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है और पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है, जो अपराध है।
पीठ ने कहा, ‘‘स्वच्छ वातावरण नागरिकों का मूल अधिकार है, धन नहीं होने का बहाना नहीं बनाया जा सकता…बहरहाल हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को अंतिम अवसर देते हैं कि इसे दुरूस्त करने का काम करवाया जाए और वह अपना हलफनामा एक महीने के अंदर ई-मेल से दाखिल करें।’’
भाषा नीरज नीरज शाहिद
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