सीजेआई ने बार नेताओं को न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले के खिलाफ मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया

सीजेआई ने बार नेताओं को न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले के खिलाफ मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया

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  • Publish Date - March 27, 2025 / 06:08 PM IST,
    Updated On - March 27, 2025 / 06:08 PM IST

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बार के नेताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की उनकी मांग पर विचार करने का बृहस्पतिवार को आश्वासन दिया। यह जानकारी इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने दी।

विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने दोपहर में प्रधान न्यायाधीश और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों- न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, से मुलाकात की।

उच्चतम न्यायालय में हुई इस बैठक से बाहर आने के बाद तिवारी ने कहा कि उन्होंने (कॉलेजियम सदस्यों ने) बार निकायों के ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन इस बात पर पुनर्विचार करेगा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाए या नहीं।

न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय में वापस भेजे जाने के प्रस्ताव के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।

इससे पहले दिन में इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ उच्च न्यायालयों के बार निकायों के प्रतिनिधियों ने सीजेआई कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे (न्यायमूर्ति खन्ना से) मिलने के लिए समय मांगा।

बार निकायों के प्रतिनिधियों ने न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर साक्ष्यों के साथ कथित छेड़छाड़ का मुद्दा भी उठाया है, जहां 14 मार्च को आग लगने की एक घटना के दौरान नकदी की जली हुई गड्डियां कथित तौर पर मिली थीं। वहीं बार निकायों के सदस्यों ने घटना में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर सवाल उठाया।

ज्ञापन में बार निकायों ने पारदर्शिता अपनाने और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट तथा अन्य सामग्री को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के लिए सीजेआई द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की।

ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘बार एसोसिएशन प्रधान न्यायाधीश तथा कॉलेजियम से अनुरोध करते हैं कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का स्थानांतरण वापस लिया जाए तथा पहले से वापस लिये गए न्यायिक कार्य के अतिरिक्त सभी प्रशासनिक कार्य भी वापस लिये जाएं।’’

ज्ञापन में प्रधान न्यायाधीश से मामले में आपराधिक कानून लागू करने का आग्रह करते हुए दावा किया गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट के अनुसार, आग की घटना के एक दिन बाद ही किसी ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से सामान हटा दिया था।

ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘इस तरह के अपराधों में अन्य लोगों की संलिप्तता होगी और (एक प्राथमिकी) दर्ज नहीं होने से उनके अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’

न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस इलाके में स्थित आवास में 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद कथित तौर पर अधजली नकदी बरामद हुई थी। आग लगने की घटना के बाद दमकलकर्मी न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पहुंचे थे।

विवाद के मद्देनजर, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की। प्रधान न्यायाधीश के निर्देश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था।

प्रधान न्यायाधीश ने 22 मार्च को आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन-सदस्यीय एक समिति का गठन किया और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया।

न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों की निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई थी।

भाषा अमित सुरेश

सुरेश