नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को ‘भारतीय वायुयान विधयेक, 2024’ पेश किया गया, जो कानून बनने पर 90 साल पुराने विमान अधिनियम की जगह लेगा तथा विमानन क्षेत्र के प्रमुख निकायों को ज्यादा शक्ति प्रदान करेगा।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने उच्च सदन में यह विधेयक प्रस्तुत किया। लोकसभा ने इसी साल अगस्त महीने में भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पारित किया था।
नायडू ने विधेयक को पेश करते हुए कहा कि पहले के अधिनियम में कुछ भ्रम थे उनको दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
नायडू ने सदन में विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत पिछले 10 वर्षों में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि देखी गई है।
उन्होंने कहा कि देश में हवाई अड्डों की संख्या वर्ष 2014 में 74 थी जो अब बढ़कर 157 हो गई है, जो दोगुने से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में इस अवधि के दौरान हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार विमानों और यात्रियों की संख्या में भी तकरीबन दोगुने की वृद्धि हुई है।
यह विधेयक केंद्र सरकार को किसी भी विमान या विमान की श्रेणी के डिजाइन, निर्माण, रख-रखाव, कब्जे, उपयोग, संचालन, बिक्री, निर्यात या आयात को विनियमित करने और सुरक्षित करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।
इस विधेयक का उद्देश्य किसी भी हवाई दुर्घटना या घटना की जांच के लिए सरकार को नियम बनाने का अधिकार देना है।
मंत्री द्वारा विधेयक पेश किए जाने के बाद कांग्रेस सदस्य सैयद नासिर हुसैन ने चर्चा की शुरुआत की।
उन्होंने आशंका जतायी कि इस विधेयक के पारित होने के बाद नागर विमानन महानिदेशालय और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
उन्होंने यात्रियों और विमान कंपनियों के बीच शिकायतों के समाधान के तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
हुसैन ने कहा कि पूववर्ती सरकारों के दौरान संख्या के साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाता था लेकिन वर्तमान सरकार के दौरान ‘‘संख्या बढ़ाने, फीता काटने और छवि चमकाने’’ पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि दिल्ली, राजकोट और जबलपुर सहित देश के कई हवाई अड्डों पर सुरक्षा संबंधी घटनाएं हुईं।
उन्होंने सरकार पर साठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार के पास न तो हवाई अड्डे हैं न विमान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के पास बस मंत्री है।’’
कांग्रेस सदस्य ने सरकार पर विमानन क्षेत्र का निजीकरण करने और आम गरीबों की जेब से पैसे निकालने की अनुमति देने का आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि सरकार हवाई चप्पल पहनने वालों के हवाई जहाज से उड़ने की बात तो करती है लेकिन वास्तविकता है कि हवाई किराए आम आदमी की पहुंच से काफी दूर हैं।
हुसैन ने इस दौरान सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए जिसका भाजपा के सदस्यों ने जोरदार विरोध किया।
सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य वायुयान विधेयक पर अपनी बात नहीं रख रहे हैं बल्कि प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने विपक्षी सदस्य से सदन की गरिमा के अनुरूप अपना पक्ष रखने का आग्रह करते हुए कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बहुत मौके आएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया चर्चा के स्तर को नीचे न गिराएं।’’
इसके बाद आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हवाई टिकटों की कीमतें बहुत अधिक हैं और सरकार को उसका नियमन करना चाहिए।
आप सदस्य ने कहा कि मालदीव की तुलना में लक्षद्वीप का किराया अधिक है। उन्होंने एक दिन अलग-अलग किराया होने पर भी चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों पर खाने-पीने के सामान की कीमतें बाजार की तुलना में कई गुना ज्यादा होती हैं। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि टिकटों की कीमतें ज्यादा होने से पर्यटन क्षेत्र भी प्रभावित होता है।
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘‘उडे देश का आम आदमी’’ यानी उड़ान योजना की बात करती है लेकिन वास्तविकता कुछ और है और लोग ‘‘प्लेन से वापस ट्रेन’’ की ओर जा रहे हैं।
चर्चा अधूरी रही।
भाषा ब्रजेन्द्र
ब्रजेन्द्र अविनाश
अविनाश