नई दिल्ली। लद्दाख के गलवान घाटी पर भारत-चीन सेना में खूनी संघर्ष के बीच चीन विदेश मंत्रालय से बड़ा बयान सामने आया है। चीनी प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया।
Indian front-line troops broke the consensus and crossed the Line of Actual Control, deliberately provoking and attacking Chinese officers and soldiers, thus triggering fierce physical conflicts and causing casualties: Chinese Foreign Ministry Spokesperson pic.twitter.com/8foq0kry7p
— ANI (@ANI) June 18, 2020
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चीन अधिकारियों और सैनिकों को भड़काया और हमला किया। प्रवक्ता ने आगे कहा कि भारतीय सेना के कारण ही इस तरह के हिंसक हालात बने और दोनों देशों के सैनिक हताहत हुए।
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बता दें इस अहम मसल पर दोनों देशों के मेजर जनरल स्तर की बातचीत जारी है। बुधवार को बैठक बेनतीजा रही थी। दोनों देशों के बीच आज फिर से विवाद का हल निकालने बैठक हो रही है।
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ऐसे बने हिंसक हालात
बता दें भारत और चीन के सैनिकों के बीच सोमवार रात हुई हिंसक झड़प करीब सात घंटे तक चली थी। इसकी शुरुआत शाम 7 बजे के आस-पास हुई थी। शहीद कर्नल संतोष बाबू की टुकड़ी पेट्रोल प्वाइंट 14 पर पहुंची थी जहां चीनी सैनिकों ने डेरा डाल रखा था। भारतीय सैनिक प्रोटोकॉल के तहत हथियार साथ नहीं ले गए थे। इस सीमा पर दोनों ही तरफ के जवान सामान्य तौर पर बंदूकें साथ नहीं रखतेष अगर रखते भी हैं तो बंदूक पीठ पर होती है और गोलियों की मैगजीन जेब के भीतर।
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भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच यहीं से बहस और धक्कामुक्की की शुरुआत हुई। कर्नल बाबू और उनकी 50 जवानों की टुकड़ी चीनी सैनिकों को वो पोस्ट खाली करने को कहा था तो मना कर दिया गया। शुरुआती धक्कामुक्की मारपीट और झगड़े में तब्दील हो गई। दोनों तरफ के जवान एक दूसरे के साथ लड़ाई में उलझ गए। भारतीय सैनिकों ने चीनी टेंट उखाड़ दिए। इसके बाद जो हिंसक और खूनी झड़प शुरू हुई वो करीब सात घंटे तक चलती रही।
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दोनों तरफ के सैनिकों ने एक दूसरे पर पत्थरों से हमले किए। इसके बाद चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर कटीले तारों वाले आयरन रॉड से हमले शुरू कर दिए। इसकी भारतीय सैनिकों को उम्मीद नहीं थी। चीनी सैनिकों की तरफ से बिल्कुल प्लान करके किया गया। दोनों ही तरफ के कुछ सैनिक नदी में गिर गए। बाद में मंगलवार सुबह उनके शव मिले।
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विवाद के वक्त वहां करीब 250 चीनी सैनिक मौजदू थे जबकि भारतीय सैनिक सिर्फ 50 के आस-पास थे। कम संख्या में होने के बावजूद भारतीय सैनिक अपनी जगह से पीछे नहीं हटे और चीनी सैनिकों से पोस्ट हटाने की मांग पर अड़े रहे। लेकिन चीनियों ने न सिर्फ पीछे हटने से मना किया बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे वो इस विवाद के लिए पहले से तैयार थे। चीनियों के साथ हुई पहली झड़प में कर्नल बाबू और दो अन्य सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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एक घंटे के भीतर ही भारत की तरफ से मदद भेजी गई और इसके बाद दोनों तरफ के पांच सौ सैनिकों के बीच घंटों तक ये हिंसक झड़प चली। इस झड़प में भारत के 20 सैनिकों को शहादत मिली है जबकि 18 अब भी गंभीर रूप से घायल हैं। वहीं चीन की तरफ 40 से 45 मौतों की बात कही जा रही है।