चीन ने ‘एक-चीन’ नीति के लिए अपना समर्थन दोहराने को लेकर भारत का आह्वान किया

चीन ने ‘एक-चीन’ नीति के लिए अपना समर्थन दोहराने को लेकर भारत का आह्वान किया

चीन ने ‘एक-चीन’ नीति के लिए अपना समर्थन दोहराने को लेकर भारत का आह्वान किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:58 pm IST
Published Date: August 14, 2022 12:23 am IST

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य में जारी संकट की पृष्ठभूमि में ‘एक-चीन’ नीति के लिए अपना समर्थन दोहराने के वास्ते शनिवार को भारत का आह्वान किया।

पिछले हफ्ते अमेरिका की प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर चीन के राजदूत सुन वेइदोंग की यह टिप्पणी सामने आई है।

पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पर, राजदूत ने कहा कि दोनों पक्षों को बातचीत जारी रखनी चाहिए और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन द्विपक्षीय संबंधों को ‘‘सही रास्ते’’ पर वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत करेगा।

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उन्होंने पत्रकारों के एक समूह से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ‘एक चीन’ नीति को लेकर भारत के नजरिये में बदलाव नहीं आया है। हमें उम्मीद है कि भारत ‘एक चीन सिद्धांत’ के लिए समर्थन दोहरा सकता है।’’

शुक्रवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ‘एक-चीन’ नीति का उल्लेख करने से यह कहते हुए परहेज किया था कि ‘‘प्रासंगिक’’ नीतियों पर भारत का रुख भलीभांति ज्ञात है और इसकी पुनरावृत्ति की आवश्यकता नहीं है।

चीन ने दावा किया है कि पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद लगभग 160 देशों ने ‘एक-चीन’’ नीति के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है। चीन, ताइवान को अपना अलग प्रांत मानता है।

हालांकि भारत ने ‘एक-चीन’ नीति का समर्थन किया था, लेकिन एक दशक से अधिक समय से इसे सार्वजनिक रूप से या द्विपक्षीय दस्तावेजों में इस रुख को इसने नहीं दोहराया है।

राजदूत वेइदोंग ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहेगा, चीन की न्यायसंगत स्थिति को समझेगा और उसका समर्थन करेगा और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के उसके प्रयासों को जारी रखेगा।’’

उन्होंने कहा कि ‘एक चीन’ नीति चीन-भारत संबंधों का आधार है और यह अन्य सभी देशों के साथ चीन के संबंधों की नींव भी है।

राजदूत ने कहा कि अमेरिका चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के उप प्रमुख अब्दुल रऊफ अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक कदम पर चीन द्वारा तकनीकी तौर पर रोक लगाने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव का अध्ययन करने के लिए किया गया था।

अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए चीन में भारतीय छात्रों की वापसी के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि पहला समूह ‘‘निकट भविष्य’’ में उस देश में वापस आ जाएगा क्योंकि दोनों पक्ष इस मामले पर काम कर रहे हैं।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़े पैमाने पर सैन्य बुनियादी ढांचे के विकास और इस क्षेत्र में एलएसी के करीब अपने सैन्य जेट विमानों के उड़ान भरने के मामलों के बारे में पूछे जाने पर, वेइदोंग ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘समग्र द्विपक्षीय संबंधों के लिए, इसके महत्व को दोनों पक्षों को समझना होगा, हम चीन-भारत संबंधों को महत्व देंगे और इसे सही रास्ते पर वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि जब हम इस तरह के लक्ष्य को हासिल करेंगे, तो इससे निश्चित रूप से न केवल हम दोनों (देशों) को, बल्कि क्षेत्र और दुनिया को भी फायदा होगा।’’

राजदूत ने कहा कि चीन, भारत के साथ अपने संचार को मजबूत करने और समझ को गहरा करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है ताकि किसी भी तरह की ‘‘गलतफहमी’ से बचा जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘दो पड़ोसी देशों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे कैसे संभालना है।’’

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश


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