नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) बाल संरक्षण गृहों की देखभाल में रहने वाले ऐसे बच्चे, जिनके अभिभावक ‘अक्षम’ हैं और जिनसे लंबे समय से कोई मिलने नहीं आया हो, उन्हें अब गोद लेने वालों की सूची में शामिल किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
महिला एवं बाल विकास सचिव अनिल मलिक ने ‘दिव्यांग बच्चों के अधिकारों की रक्षा’ विषय पर नौवें वार्षिक राष्ट्रीय हितधारक परामर्श के समापन सत्र के दौरान भारत में गोद लेने की प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि गोद लेने की सूची में दो नयी श्रेणियां जोड़ी जाएंगी और अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले (ओएएस) बच्चों की मौजूदा श्रेणियों का विस्तार किया जाएगा।
मलिक ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम उन बच्चों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं, जिनसे लम्बे समय से कोई मुलाकात करने नहीं आया है तथा जिनके अभिभावकों या माता-पिता को ‘अक्षम संरक्षक’ माना गया है।’
उन्होंने कहा कि बच्चों की देखभाल करने वाले संस्थानों में 15,000 बच्चों पर किए गए सर्वेक्षण से उन बच्चों की पहचान की गई है, जिन्हें पालन-पोषण संबंधी देखभाल और गोद लेने के लिए रखा जाएगा।
मलिक ने भारतीय नागरिकों में बच्चों, विशेषकर दिव्यांग बच्चों को गोद लेने में बढ़ती रुचि पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘पहले विदेशी लोग गोद लेने के लिए अधिक इच्छुक थे, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि अधिक संख्या में भारतीय नागरिक और प्रवासी भारतीय आगे आ रहे हैं।’
सचिव ने गोद लेने के कुछ आंकड़े साझा किए, जो (इस क्षेत्र की) प्रगति को दर्शाते हैं।
मलिक ने कहा, ‘वर्ष 2022-23 में 152 दिव्यांग बच्चों को गोद लिया गया और पिछले साल यह संख्या दोगुनी होकर 309 हो गई। इस साल अब तक लगभग 150 बच्चों को गोद लिया जा चुका है।’
भाषा
शुभम सुरेश
सुरेश
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