बच्चों को देशहित में सोचना और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू

बच्चों को देशहित में सोचना और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू

बच्चों को देशहित में सोचना और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू
Modified Date: January 23, 2023 / 10:19 pm IST
Published Date: January 23, 2023 10:19 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि बच्चों को देशहित के बारे में सोचना चाहिए और जब भी मौका मिले तब राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए।

मुर्मू ने यहां एक समारोह में 11 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘बच्चे हमारे देश की अमूल्य संपत्ति हैं। उनके भविष्य-निर्माण के लिए किया गया हर प्रयास हमारे समाज और देश के भविष्य को स्वरूप प्रदान करेगा। हमें उनके सुरक्षित और खुशहाल बचपन तथा उज्ज्वल भविष्य के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए।’’

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मुर्मू ने कहा, ‘‘बच्चों को पुरस्कार देकर, हम राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को प्रोत्साहित और सम्मानित कर रहे हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ पुरस्कार विजेताओं ने इतनी कम उम्र में ही इतना अदम्य साहस और पराक्रम दिखाया है कि उन्हें उनके बारे में जानकर न केवल आश्चर्य हुआ, बल्कि वह इससे अभिभूत हो गईं। उन्होंने कहा कि इनके उदाहरण सभी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं।

मुर्मू ने कहा, ‘‘हम देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमे कड़े संघर्ष के बाद आजादी मिली है, इसलिए नई पीढ़ी से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सभी इस स्वतंत्रता के मूल्य को पहचानें और इसकी रक्षा करें।’’

उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि वे देश के हित के बारे में सोचें और जहां भी मौका मिले देश के लिए काम करें।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारतीय जीवन-मूल्यों में परोपकार को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जीवन उन्हीं के लिए सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीते हैं।’’

उन्होंने कहा कि संपूर्ण मानवता के प्रति प्रेम का भाव, पशु-पक्षियों और पौधों की देखभाल की संस्कृति; भारतीय जीवन-मूल्यों का अंग है। मुर्मू ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज के बच्चे पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हैं। उन्होंने बच्चों को कहा कि वे यह ध्यान रखें कि वे जो कुछ भी करते हैं, उससे कहीं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। उन्होंने उनसे पौधे लगाने और उनकी रक्षा करने के साथ ऊर्जा बचाने और बड़ों को भी इसके लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। भाषा दीपक धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल


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