अविश्वसनीय दस्तावेज आपूर्ति के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर चिदंबरम से जवाब तलब

अविश्वसनीय दस्तावेज आपूर्ति के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर चिदंबरम से जवाब तलब

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  • Publish Date - December 22, 2023 / 07:00 PM IST,
    Updated On - December 22, 2023 / 07:00 PM IST

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में निचली अदालत के एक आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति चिदंबरम और अन्य आरोपियों से शुक्रवार को जवाब तलब किया।

निचली अदालत ने सीबीआई को इन आरोपियों को गैर-भरोसेमंद दस्तावेजों की आपूर्ति करने का सीबीआई को आदेश दिया था, जिसे एजेंसी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने सीबीआई की याचिका पर चिदंबरम और अन्य को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।

उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि संबंधित मामला 18 जनवरी को निचली अदालत के समक्ष सूचीबद्ध है, इसके बाद अदालत ने याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए 11 जनवरी, 2024 की तारीख की।

सीबीआई ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एजेंसी को आरोपियों को सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज मुहैया कराने का निचली अदालत का निर्देश गलत है।

जांच एजेंसियां अभियोजन के उद्देश्य से जांच के दौरान एकत्र किए गए सभी दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप दस्तावेजों को ‘भरोसेमंद’ और ‘गैर-भरोसेमंद’ श्रेणियों में विभाजित किये जाते हैं।

‘भरोसेमंद’ दस्तावेज से अभियोजन पक्ष को फायदा हो सकता है, जबकि ‘गैर-भरोसेमंद’ दस्तावेजों से बचाव पक्ष को मदद मिल सकती है। बचाव पक्ष आमतौर पर उन सभी दस्तावेजों का निरीक्षण करना चाहेगा, जिन पर जांच एजेंसी ने भरोसा नहीं किया है।

एजेंसी ने पांच मार्च, 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी कि निचली अदालत ने यह निष्कर्ष निकालने में त्रुटि की है कि सीबीआई आरोपियों को सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज मुहैया कराने के लिए बाध्य है।

सीबीआई ने कहा कि उसे आशंका है कि सभी गैर-भरोसेमंद दस्तावेज उपलब्ध कराने के व्यापक निर्देश से आगे की जांच में बाधा आएगी।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के अनुसार, अभियोजन पक्ष आरोपी को केवल उन दस्तावेजों की प्रतियां प्रदान करने के लिए बाध्य है, जिन पर वह भरोसा करने का प्रस्ताव करता है, या जो जांच के दौरान पहले ही मजिस्ट्रेट को भेजे जा चुके हैं।

यह मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।

यह मंजूरी 2006 में दी गई थी, जब पी चिदंबरम केंद्रीय वित्तमंत्री थे।

भाषा सुरेश रंजन

रंजन

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