Publish Date - August 22, 2023 / 11:16 AM IST,
Updated On - August 22, 2023 / 11:16 AM IST
नई दिल्ली: chandrayaan-3 landing date भारत आसमान पर आज एक नया इतिहास रचने जा रहा है जिसका काउंटडाउन शुरू हो चुका है। आज शाम करीब 6:04 बजे चंद्रयान 3 चांद की सतह पर लैंड करेगा। लेकिन चंद्रमा पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग आसान नहीं होगा। लैंडिंग के दौरान एक वक्त ऐसा भी आएगा जब इसरो का पूरा संपर्क चंद्रयान से टूट जाएगा। इस ड्यूरेशन को ’15 मिनिट्स ऑफ टेरर’ यानी ‘खौफ के 15 मिनिट्स’ कहा जाता है। बताया जा रहा है कि अगर लैंडिंग का पैमाना सही नहीं रहा तो ये चंद्रयान 27 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंचेगा।
chandrayaan-3 landing date वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन करेंगे। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे। आइए जानते हैं चंद्रयान 3 की लैंडिग से जुड़ी कुछ अहम बातें।
चार फेज में होगी लैंडिंग
1. रफ ब्रेकिंग फेज
इस वक्त लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर होगा और स्पीड 1.6 Km/sec होगी।
ये फेज 690 सेंकेड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिबरेट होंगे।
690 सेंकेड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358 m/sec और नीचे की तरफ 61 m/sec हो जाएगी।
2. ऑल्टिट्यूड होल्ड फेज
विक्रम चांद की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर करेगा।
चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था अब इसे 10 सकेंड का कर दिया गया है।
इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 m/s और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 m/s हो जाएगी।
ये फेज 175 सेकेंड तक चलेगा इसमें स्पीड 0 पर आ जाएगी।
लैंडर की पोजीशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी।
सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी।
विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी।
फिर से फोटोज लिए जाएंगे और कंपेयर किया जाएगा।
4. टर्मिनल डिसेंट फेज
अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा।
लैंडर पर लगा हैजार्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की तस्वीरें खींचेगा।
विक्रम पर लगा हैजार्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा।
अगर सब सही है तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा।
अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा।
फिर से सतह चेक करेगा और सब कुछ सही रहा तो लैंड कर जाएगा।
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की।
इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित
इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने सोमवार को बताया कि उसने चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क
स्थापित कर दिया है। टू-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- ‘स्वागत है दोस्त!’
चांद पर अशोक स्तंभ की छाप
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है। इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था- ‘अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।’