ISRO kept sending signals to Vikram-Pragyan : नई दिल्ली। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को लेकर इसरो ने नया अपडेट दिया है। मिशन चंद्रयान-3 को लेकर इसरो ने अपने लेटेस्ट पोस्ट में बताया है कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क करने की कोशिश की गई है, मगर अब तक इसमें इसरो को कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। चंद्रयान-3 के विक्रम और प्रज्ञान दोनों जगने की अवस्था में हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई थी।
ISRO kept sending signals to Vikram-Pragyan : चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर पूरा एक दिन बिताया। इस दौरान विक्रम और प्रज्ञान के साथ गए पेलोड ने इसरो तक चांद की सतह के बारे में कई जानकारियां भेजीं। ISRO वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य पूरा हो चुका है। अब कोशिश ये है कि विक्रम और प्रज्ञान को एक बार फिर जगाकर अतिरिक्त जानकारियां जुटाई जाएं, जिससे आने वाले चंद्र मिशनों में लाभ मिले। हालांकि अभी ये कोशिश सफल होते नहीं दिख रही है।
इसरो ने शुक्रवार शाम को ट्वीट करके जानकारी दी, ”विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं ताकि उनकी जागने की स्थिति का पता लगाया जा सके। फिलहाल उनकी ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं। संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे।” इसरो ने साफ किया है कि भले ही पहले प्रयास में विक्रम और प्रज्ञान को दोबारा एक्टिवेट करने में सफलता नहीं मिली हो, लेकिन आगे आने वाले दिनों में भी इससे संपर्क साधकर दोबारा जगाने की कोशिश की जाती रहेगी। ऐसे में उम्मीद है कि भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से इसरो का संपर्क स्थापित हो सकता है।
बता दें कि 23 अगस्त को इसरो ने अपने तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करवाकर इतिहास रच दिया था। चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जबकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार कोई देश पहुंचा। इसके बाद अगले 14 दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने अपना काम किया और चांद से जुड़ी कई अहम जानकारियों को इकट्ठा करके इसरो के कमांड सेंटर तक भेजा। इसमें चांद के तापमान, सल्फर आदि से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां थीं। वहीं, जब इस महीने की शुरुआत में चांद पर रात हो गई तो विक्रम और प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया। लेकिन 14 दिनों बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिर से रोशनी आने लगी।